वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने नई नीति में साफ ईंधन की बात की है। इसके तहत एनसीआर के उद्योगों को कोयले का इस्तेमाल बंद करना ही होगा। जहां प्राकृतिक गैस नहीं है, वहां बायो गैस का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके अलावा नई नीति में छोटे छोटे बायलरों या भट्ठी की जगह एक कामन बायलर लगाने के लिए सिफारिश की गई है। इससे धुआं कम होगा। परिवहन सेक्टर में बस बढ़ाने की नहीं बल्कि सारे सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में सुधार की बात की गई है।
जंग में फंड का भी इंतजाम कराती है योजना
छोटे छोटे शहरों को भी नई नीति में जगह दी गई है। नो एमिशन जोन और सकरुलर इकोनोमी की बात भी यह नीति करती है तो वायु प्रदूषण से जंग में फंड जुटाने की व्यवस्था भी सुझाती है। कचरा अलग करने से लेकर डिकंपोस्ट प्लांट लगाने तक का जिक्र है। कहने का मतलब, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से सुझाव लेकर तैयार की गई इस नीति में बहुत कुछ दिया है, जरूरत अब केवल इस बात की है कि राज्य सरकारें भी इन सब व्यवस्थाओं को गंभीरता एवं ईमानदारी से अमल में लाएं। अब पूर्वानुमान के आधार पर प्रदूषण बढ़ने के तीन दिन पहले ही ग्रेप लागू कर दिया जाएगा।