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पश्चिम यूपी में अखिलेश-जयंत की नई सोशल इजीनियरिंग, भाईचारा-सम्मेलन


  • उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी समीकरण और गठजोड़ बनाए जाने लगे हैं. बसपा ने पूर्वांचल से ब्राह्मण सम्मलेन शुरू किया है तो सपा-आरएलडी पश्चिम यूपी में जाट-मुस्लिम का समीकरण बनाने की कवायद में हैं. इसी के तहत सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और आरएलडी सुप्रीमो जयंत चौधरी के बीच रविवार को दिल्ली में बैठक हुई, जिसमें वेस्टर्न यूपी के राजनीतिक समीकरण को मजबूत बनाने की रणनीति पर चर्चा हुई.

आरएलडी पश्चिम यूपी में जाट-मुस्लिम सुदायक के लोगों के साथ-साथ तमाम जातियों को जोड़कर नई सोशल इंजीनियरिंग खड़ी करने की कवायद में है. जाट-मुस्लिम को एक बार फिर से साथ लाने के लिए आरएलडी 27 जुलाई से भाईचारा सम्मेलन शुरू कर रही है, जिसका आगाज पश्चिम यूपी के मुजफ्फरनगर के खतौली से किया जा रहा है. जाट-मुस्लिम समीकरण के साथ ही आरएलडी और सपा गुर्जर, सैनी, कश्यप समाज के साथ ब्राह्मणों को भी जोड़ने की पूरी कोशिश में हैं.

उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय की आबादी करीब 4 फीसदी है जबकि पश्चिम यूपी में यह 17 फीसदी के आसपास है. वहीं, मुस्लिम आबादी यूपी में भले ही 20 फीसदी है, लेकिन पश्चिम यूपी में करीब 35 से 50 फीसदी तक है. इस तरह से जाट और मुस्लिम समुदाय सहारनपुर, मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, बागपत और अलीगढ़-मुरादाबाद मंडल सहित करीब 100 विधानसभ सीटों पर निर्णायक भूमिका अदा करते हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह देश में जाट समुदाय के सबसे बड़े नेता के तौर पर जाने जाते थे. उन्होंने प्रदेश और देश की सियासत में अपनी जगह बनाने और राज करने के लिए ‘अजगर’ (अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत) और ‘मजगर’ (मुस्लिम, जाट, गुर्जर और राजपूत) फॉर्मूला बनाया था.