सम्पादकीय

पाकिस्तानकी अर्थव्यवस्था


के.एस.तोमर

पाकिस्तान अपनी धरतीसे आतंकियोंकी फंडिंग तथा उनको प्रायोजित करता है जिसमें ओसामा बिन लादेन भी शामिल था जिसने अमेरिकामें ९/११ हमलोंको अंजाम दिया तथा मुम्बईमें २६/११ जैसी घटनाएं हुईं। इसके अलावा पाकिस्तान जम्मू-कश्मीरमें आतंकियोंकी घुसपैठ करवाकर हजारोंकी तादादमें भोले-भाले लोगोंका कत्लेआम करवा रहा है। टैरर फंडिंगपर एक अंतरराष्ट्रीय वॉच डॉग फाइनांशियल टास्क एक्शन फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तानको ग्रे लिस्टमें शामिल किया। पाकिस्तान ३८ बिलियन अमेरिकी डालरका बड़ा घाटा झेल रहा है। पाकिस्तानको गंभीर आर्थिक संकटका सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते वह चीनके कर्जके जालमें फंसता जा रहा है। चीन भारतके खिलाफ पाकिस्तानका उपयोग कर रहा है। २०२४ तक पाकिस्तानका कुल ऋण सौ बिलियन अमेरिकी डालर हो जायगा जिससे पाकिस्तान दशकोंतक अपने आपको उभार नहीं पायगा और चीनके हाथों अपने आपको गिरवी रख देगा। यह एक सरासर संयोग है कि तबादलैब नामके एक स्वतंत्र थिंक टैंक, जिसका शीर्षक ‘ग्लोबल पॉलिटिक्सकी लागतको वहन करना’ ने हाल हीमें एफटीएएफके निर्णयके प्रभावके बारेमें एक चौंकानेवाली गंभीर शोध रिपोर्ट जारी की है जिसके बाद पाकिस्तानकी नाजुक अर्थव्यवस्थापर ग्रे लिस्टिंग की गयी।

शोधपत्रके चौंकानेवाले खुलासेमें ११ सालकी ग्रे लिस्टिंगकी अवधि शामिल है। पाकिस्तान ग्रे लिस्टमें जून २०१८ से बना हुआ है। आतंकके खिलाफ काररवाई न करनेके कारण उसपर ब्लैकलिस्टेड होनेका डर लगातार बना हुआ है। एफएटीएफके एक्शन प्लानको लागू करनेमें पाकिस्तानकी विफलताने बुरी तरहसे अर्थव्यवस्थाको प्रभावित किया है। विश्लेश्कोंने विडम्बनापूर्ण परिस्थितियोंका वर्णन किया है कि निष्कर्ष ऐसे समयमें सामने आये हैं जब मनी लांड्रिंग और आतंकी वित्त पोषणपर अंकुश लगानेके लिए एफएटीएफकी सिफारिशोंका पालन करनेके लिए पाकिस्तानकी मंशा और इरादोंके निष्पादनमें कमी पायी गयी थी। इस कारण इसे ग्रे लिस्टमें बरकरार रखा गया। विशेषज्ञोंका मानना है कि यह एक कड़वी सचाई है कि पूरा विश्व सचाईसे वाकिफ है कि पाकिस्तान खुले तौरपर आतंकियोंको वित्तीय समर्थन जुटाता है। यह सब कुछ उसकी भूमिसे होता है। पाकिस्तानने ओसामा बिन लादेनको स्थायी तौरपर अपने देशमें शरण दी थी। एफएटीएफका पूर्ण सत्र २२ फरवरीसे २५ फरवरीतक पैरिसमें आयोजित किया गया। इसमें निष्कर्ष निकला कि पाकिस्तानने एक्शन प्लानमें २७ बिंदुओंमेंसे २१ का पूरी तरहसे पालन किया है। परन्तु उसने देशको चेतावनी दी है कि उसे बकाया मुद्दोंको पूरा करनेके लिए हमेशा समय नहीं दिया जा सकता। एक्शन प्लानकी सभी सीमाएं समाप्त हो गयी थीं। एफएटीएफने पाकिस्तानको फरवरी २०२१ तक सभी २७ बिंदुओंको पूरा करनेका आग्रह किया था। एफएटीएफके अध्यक्ष मार्कस प्लेयरकी आशाएं उनकी प्रतिक्रियासे प्रतिलक्षित होती हैं जब वह उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान सभी आतंकियों या सभी संघटनोंकी जांच तथा अभियोगोंमें सुधार करेगा। अदालतों द्वारा दंड प्रभावी दिखाई देंगे।

परन्तु वास्तविकतामें विश्लेषकोंका मानना है कि २६/११ मुम्बई हमलोंके मास्टर माइंड और लश्कर-ए-तोयबा कमांडर जकी उर रहमान लखवीको हिरासतमें लेनेके बाद पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदायको गुमराह कर रहा है और एफएटीएफको भी उलझानेका प्रयास कर रहा है। एफएटीएफकी सिफारिशोंके गैर-अनुपालनके लिए ब्लैक लिस्टिेड होनेकी संभावनाको कम किया गया है। पाकिस्तान अपने मित्र राष्ट्रों जैसे चीन, तुर्की, मलयेशिया इत्यादिसे समर्थन हासिल कर रहा है। यदि यह देश सहमत हुए तो जूनतक ग्रे लिस्टसे औपचारिक रूपसे बाहर आनेकी पाकिस्तानकी संभावनाएं बढ़ सकती हैं। इस्लामाबादसे आ रही मीडिया रिपोर्टोंका कहना है कि एफएटीएफ बैठकसे पहले पाकिस्तान विदेश मंत्रालयके अधिकारियोंने राजदूतों और राजनयिकोंके साथ गहन लॉबिंग की है, ताकि २७ बिंदुओंवाले एक्शन प्लानको लागू करनेके लिए इसके द्वारा की गयी ठोस प्रगतिसे उन्हें अवगत करवाया जा सके। दूसरी बात यह है कि एफएटीएफके पास वर्तमानमें ३९ सदस्य हैं जिसमें यूरोपियन कमिशन तथा गल्फ कारपोरेशन कौंसिल जैसे दो संघटन शामिल हैं, वहीं भारत भी एफएटीएफ परामर्श तथा एशिया पैसिफिक ग्रुपका एक सदस्य है। ग्रे लिस्टसे बाहर होने तथा ह्वाइट लिस्टकी तरफ बढऩेके लिए ३९ मेंसे पाकिस्तानको १२ वोटोंकी जरूरत है। पाकिस्तान ब्लैक लिस्टको भी टालना चाहता है। इस तरह इसे तीन देशोंका समर्थन चाहिए और इस परिदृश्यमें चीन, तुर्की और मलयेशिया इसके साथ खड़े होंगे जो ग्रे लिस्टसे इसके बाहर होनेको यकीनी बना सकते हैं। अंतिम रूपमें चीनका पक्ष भी पाकिस्तानका संरक्षण करता है जिसका लक्ष्य भारतको और गहरे जख्म देना है और इसके साथ विश्वमें एक सुपर पावर बनना है। परन्तु ड्रैगनके ऐसे उद्देश्य भविष्यमें सफल नहीं होंगे।