पेशावर, । पाकिस्तान में हिंदुओं ने सहिष्णुता और उदारता का ऐसा परिचय दिया है, जिससे वहां रहने वाले अन्य समुदाय की आंखें खुल जानी चाहिए। यहां के हिंदुओं ने मंदिर में तोड़फोड़ और आगजनी करने वालों को माफ कर दिया। पाकिस्तान के खैबरपख्तनूख्वा प्रांत में पिछले साल 30 दिसंबर को करक जिले के टेरी गांव में एक काजी के नेतृत्व में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के उग्रपंथियों ने एक दशक पुराने मंदिर और यहां पर बनी हिंदू संत परमहंस महाराज की समाधि पर तोड़फोड़ करने के बाद आग लगा दी थी। घटना में भारत के साथ ही दुनियाभर के मानवाधिकार और हिंदू संगठनों ने सख्त विरोध किया था। इस मामले में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाक को जमकर लताड़ लगाई थी।
अब इस मामले में सभी दोषियों ने मंदिर पर हमले के संबंध में लिखित में माफीनामा दिया है। सभी ने इसी तरह से 1997 में की गई घटना के संबंध में भी माफी मांगी है। ऐसे मसलों पर होने वाली वार्ता को स्थानीय भाषा में जिरगा कहते हैं। इस जिरगा में खैबरपख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री महमूद खान ने अध्यक्षता की। यहां तय हुआ है कि माफीनामा को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा और दोषियों को छोड़ने की अपील की जाएगी। माफीनामा में सभी दोषियों ने भविष्य में ऐसी कोई भी घटना न करने और परस्पर सौहार्द बनाए रखने की भी कसम खाई है।
दोनों पक्षों में वार्ता के बाद पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के चेयरमैन और इमरान की पार्टी के सांसद रमेश कुमार ने कहा कि इस घटना से पाक ही नहीं, पूरी दुनिया के हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई थीं। घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर को तत्काल दोबारा बनाए जाने के निर्देश दिए थे। इस मामले में पचास से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी की गई थी।