वाराणसी

पुण्यतिथि पर काशी नरेशको किया गया नमन


स्थानीय रामघाट स्थित श्रीवल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालयमें मंगलवारको पुण्यश्लोक काशीनरेश श्री विभूति नारायण सिंह की भारतीय गणनानुसार पुण्यतिथि पर स्मृतिसभा आयोजित हुई। सभाकी अध्यक्षता वेदाचार्य श्री शरद कुमार नागरने की। श्री नागर जीने महाराज काशीनरेश जी की विशेषता बतलाते हुए कहाकि महाराजके शरीरसे दिव्य तेजका प्रसार होता था। वे कर्मनिष्ठï धीर पुरुष थे। उन्हें लोग शंकरका साक्षात अवतार मानते थे। उनकी पुण्यस्मृति अनन्तकाल तक बनी रहेगी। सभामें उपस्थित विद्वानोंने श्री काशीनरेश जीके सात्विक रूपका विशद वर्णन किया। वे सच्चे भगवद्भक्त, गुरुभक्त, तत्वपक्षपाती, कर्मठ, अनुकरणीय चरित महापुरुष थे। उन्हें जनता हर-हर महादेवके उद्घोषसे आदर देती रही। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन सादगीके साथ श्रेष्ठï कार्योंमें व्यतीत किया। इस अवसरपर विद्वानोंने आगामी माघमासके कृष्णपक्षकी चतुर्थीके दिन अनुष्ठïेय संकष्टï (बड़ा गणेश) चतुर्थीके विषयमें गम्भीर विचार किया। तदनुसार १ फरवरी सोमवारको संकष्टï चतुर्थी व्रतका धर्मशास्त्रानुसारी निर्णय सर्वसम्मतिसे स्वीकृत किया गया। ३१ जनवरी मंगलवारको संकष्टï चतुर्थी व्रत नहीं होगा। विद्यालयाध्यक्ष्ज्ञ श्री विश्वेश्वर शास्त्री द्राविडने स्वागत भाषणमें श्री महाराजके अनेक अनूठे संस्मरण सुनाये। सभामें सर्वश्री दिव्यचेतन ब्रह्मïचारी, दत्तात्रेय रटाटे, श्रीनिवास पुराणिक, अरुण कुमार दीक्षित, माधव रटाटे, शिवमूर्ति उपाध्याय, भालचन्द्र बादल, मून्नू सिंह, पंकज पाण्डेय, उपेन्द्र कुमार, रमोज चतुर्वेदी (अयोध्या), चन्द्रशेखर मिश्र, वेंकटेश्वर द्राविड, राजराजेश्वर द्राविड एवं बद्री कुमार अग्रवाल आदि उपस्थित रहे। विद्वत पूजन एवं प्रसाद वितरणके साथ सभा सम्पन्न हुई।