पटना

पुलिस प्रशासन नहीं दिखा रही है दिलचस्पी- लॉकडाउन के बावजूद सुबह के चार घंटे बिहारशरीफ शहर हो रहा अनलॉक


      • शादी और ईद की खरीदारी के लिए खुल रही है सभी प्रकार की दुकानें
      • चाहे आलमगंज हो या पोस्टऑफिस रोड या फिर चौक पर, सब्जी बाजार, महल पर, एतवारी बाजार या मोगलकुआं
      • चार सामान्य तथा यातायात सहित पांच थाना कई डीएसपी लेकिन कोई नहीं दिखा रहे है लॉकडाउन में दिलचस्पी
      • एसडीओ कोविड पॉजीटिव और एलआरडीसी होम आइसोलेट तैनात दंडाधिकारी की नहीं दिखती दिलचस्पी

बिहारशरीफ (आससे)। जिले में लॉकडाउन लगे पांच दिन हो गये लेकिन लॉकडाउन की स्थिति यह है कि सुबह सात बजे से लेकर 11 बजे तक चाहे जिला मुख्यालय बिहारशरीफ शहर हो या फिर दूर-दराज के नगर निकाय क्षेत्र और प्रखंड मुख्यालय हो लॉकडाउन का असर नहीं दिखता। 07 से 11 के बीच खासकर जिला मुख्यालय बिहारशरीफ पूरी तरह अनलॉक होता जा रहा है। कहने को तो इस बीच आवश्यक सामग्री यथा सब्जी, फल, दूध, मीट-मछली, किराना की दुकानें खुलनी है, लेकिन जैसे-जैसे लॉकडाउन की अवधि बढ़ती जा रही है अन्य प्रकार की दुकानें भी अनलॉक हो रही है।

शहर के प्रायः इलाकों में सुबह के चार बजे दुकानें अनलॉक्ड रह रही है, जिसे देखने वाला कोई नहीं। हालात यह है कि शहर तो शहर गांव से भी लोग इस अनलॉक पीरियड में सामान खरीदने पहुंच रहे है और बिहारशरीफ शहर में अनावश्यक भीड़ बढ़ रही हैं। हालात यही रहा तो राज्य सरकार चाहे लॉकडाउन की जितनी भी घोषणा कर दे शायद ही संक्रमण थमे।

05 मई से लॉकडाउन लागू हुआ। पहले दिन आवश्यक सामग्री की दुकानें छोड़ 07 से 11 के बीच किसी भी प्रकार का दुकान का शटर नहीं उठा। लेकिन जैसे ही लोगों को यह लगा कि ना कोई पुलिस और ना ही प्रशासन का कोई अधिकारी खोज खबर रख रहा है तब लोगों ने दुकानें अनलॉक करना शुरू की। सोहसराय, एतवारी बाजार, मोगल कुआं, महलपर, आलमगंज, पोस्टऑफिस रोड के अलावे पुराना पटना-रांची रोड की दुकानें ग्राहकों के हिसाब से खुलने लगे। यह अलग बात है कि इन सड़कों में जगह-जगह पर सुरक्षा बल की तैनाती है। कभी कभार शहर के अलग-अलग थाना क्षेत्रों के पुलिस गाड़ी भी इस पीरियड में घूमते नजर आ रहे है। बावजूद इसके बाजार अनलॉक हो रहा है।

पहले लग्न को लेकर कपड़ा आदि की खरीदारी करने वालों की भीड़ जुट रही थी और अब ईद की भी खरीदारी शुरू हो गयी है। और तो और पोस्ट ऑफिस रोड और आलमगंज में फुटपाथ पर रेडिमेड की दुकान लग रही है। इन क्षेत्रों में प्रायः रेडिमेड की दुकानें खुल रही है और चार घंटा की मार्केटिंग भी कर रही है। कपड़ा ही नहीं बर्तन, जेवर, श्रृंगार और आतिशबाजी के भी सामान धड़ल्ले से बिक रहे है। रांची रोड में स्पेयर पार्ट्स का डेकोरेशन से लेकर और भी प्रकार की दुकानें खोली जा रही है। दुकानदार अपनी दुकानों के आगे बैठा होता है। भले शटर डाउन रहता है मगर जैसे हीं ग्राहक पहुंचता है शटर उठता है और खरीदारी शुरू होती है।

जैसे-जैसे यह बात ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंची अब ग्रामीण क्षेत्र से भी लोग खरीदारी करने के लिए बिहारशरीफ पहुंचने लगे है। इतना ही नहीं लॉकडाउन के बावजूद टेंपो, ऑटो, टोटो तथा कई छोटी गाड़ियां जो ऑथोराइज्ड नहीं भी है बगैर पास और परमिट का चल रहा है। इससे लोग ढोये जा रहे है। लोग शहर पहुंचकर खरीदारी कर रहे है। जरूरतमंद लोग मनमानी कीमत पर सामान खरीदने को मजबूर है। स्थिति यह है कि जिन बाजारों में दुकानें खोलकर सामान दी जा रही है वहां सुबह के चार बजे से काफी भीड़भाड़ होता है।

कहने को तो शहर में चार थाना है। बिहार, सोहसराय, लहेरी तथा दीपनगर। इसके अलावे यातायात थाना भी है, लेकिन एकाध दिन रस्म अदायगी के नाम पर कभी टेंपो और टोटो पकड़ा गया, जिसे छोड़ भी दिया गया। वहीं कई दुकानों को अनाधिकृत रूप से खुला पकड़कर बाद में छोड़ा गया। एक भी दुकान सील नहीं हुई। बिहारशरीफ सदर एसडीपीओ के अलावे कई प्रकार के डीएसपी भी तैनात है, लेकिन कभी भी पुलिस महकमा बेवजह अनलॉक हो रहे बाजार को लॉक कराने में दिलचस्पी नहीं दिखाती दिखी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अनुमंडल पदाधिकारी कोविड पॉजीटिव है। वहीं एलआरडीसी की पत्नी कोविड पॉजीटिव मिलने के कारण होम आइसोलेट है। ऐसे में प्रशासनिक महकमा की ओर से अनलॉक हो रहे बाजार को लॉक करने की पहल नहीं दिखी है। जबकि लॉकडाउन के दौरान दंडाधिकारी भी तैनात है। हालांकि इसके विपरीत राजगीर अनुमंडल क्षेत्र में राजगीर बाजार तथा हिलसा अनुमंडल क्षेत्र में हिलसा एवं इस्लामपुर जैसे बाजारों में लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाली दुकानें सील होती रही है।

छापामारी भी हो रही है, लेकिन बिहारशरीफ जो नगर निगम क्षेत्र है, जिसकी आबादी काफी अधिक है, कोविड केसों की संख्या भी अधिक है। इतना ही नही कोविड रोगियों के इलाज के लिए अस्पताल भी इसी के इर्द-गिर्द है। बावजूद इसके अनाधिकृत रूप से अनलॉक हो रहे बाजार को लॉक करने में पुलिस प्रशासन की अनदेखी लोगों की समझ से परे है।