पटना

प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए हस्तशिल्प कला से रू-ब-रू होना अनिवार्य


(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए उस इलाके की हस्तशिल्प कला से रू-ब-रू होना अनिवार्य किया गया है, जहां के स्कूल में वर्गकक्ष प्रशिक्षण लेंगे। टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए वर्गकक्ष प्रशिक्षण की व्यवस्था ‘शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम’ का हिस्सा है। इसके तहत प्रशिक्षण के दूसरे वर्ष में प्रशिक्षु शिक्षकों को स्कूलों में वर्ग शिक्षण की ट्रेनिंग लेनी होती है। वर्ग शिक्षण का यह प्रायोगिक प्रशिक्षण एक माह का होता है।

राज्य के सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में प्रशिक्षु शिक्षक अब जिस स्कूल में वर्ग शिक्षण का प्रायोगिक प्रशिक्षण लेंगे, उसे इलाके की हस्तशिल्प कला की जानकारी भी उन्हें लेनी होगी। शिक्षा विभाग के शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक डॉ. विनोदानंद झा का मानना है कि इससे प्रशिक्षु शिक्षकों का हस्तशिल्प ज्ञान बढ़ेगा।

इस नयी व्यवस्था के तहत वर्तमान में स्कूलों में वर्ग शिक्षण का प्रायोगिक प्रशिक्षण ले रहे शिक्षक उसे इलाके की हस्तशिल्प कला से रू-ब-रू हो रहे हैं। ऐसे प्रशिक्षु शिक्षक कहीं टोकरी बुनने की कला का अध्ययन कर रहे हैं, तो कहीं चाक पर बर्तन बनाने की कला का। लहठी और चूड़ी बनाने की कला  का भी अध्ययन प्रशिक्षु शिक्षकों द्वारा किया जा रहा है।