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फर्जी ‘एनकाउंटर’ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार पर लगाया 7 लाख का जुर्माना,


  1. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) पर चार पुलिसकर्मियों से जुड़े एक मामले की ढीली जांच पर सात लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जोकि एक फर्जी “मुठभेड़” मौत के मामले में 19 साल तक गिरफ्तारी से बचते रहे और ट्रायल कोर्ट के बार-बार गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी. एक साल के भीतर मुकदमे को पूरा करने के लिए 2016 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक निर्देश पारित किया गया था, जिसके बाद भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी.

जिस तरह से राज्य पुलिस ने पीड़ित के पिता को लगभग दो दशकों तक खदेड़ने के लिए मजबूर किया, उससे आहत होकर, जस्टिस विनीत सरन और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, “वर्तमान मामले में राज्य ने जिस ढिलाई के साथ कदम उठाया है, वह बहुत कुछ कहता है. कैसे राज्य पुलिस अपने पुलिस अधिकारियों का बचाव या सुरक्षा कर रही है.”

पीड़ित के पिता को मुआवजा देने का निर्देश

पीड़ित के पिता यशपाल सिंह को अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश देते हुए, जिन्होंने आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए एक रिट याचिका दायर की, पीठ ने कहा, “परिस्थितियों की समग्रता और याचिकाकर्ता ने जिन कष्टों को झेला है, उन्हें ध्यान में रखते हुए, कोर्ट की रजिस्ट्री के पास 7 लाख रुपये की राशि जमा की जाए. यह आदेश गुरुवार को पारित किया गया था लेकिन, शुक्रवार को इसे कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया. पीठ ने कहा कि पैसा जमा करने पर याचिकाकर्ता इसे वापस लेने का हकदार होगा.