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- सरकारी निर्देशों के अनुसार ईद उल फित्र की नमाज़ अदा करें
- घरों में भी ईद की नमाज अदा करने में कोई बुराई नहीं : नायब अमीर-ए-शरीयत
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फुलवारी शरीफ। बिहार झारखण्ड उड़ीसा के मुसलमानों की सबसे बड़ी एदारा इमारत शरिया ने कोरोना से हो रही मौतों और महामारी से आमजनता को बचाने के लिए लगाए गए लॉक डाउन को देखते हुए ईद की नमाज के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातों को एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये जारी किया है।
नायब अमीर-ए-शरीयत मौलाना मोहम्मद शमशाद रहमानी कासमी ने लोगो से ईद की नमाज बाद हाथ मिलाने और गले मिलने से करें परहेज करने की अपील करते हुए कहा कि एक शहर में अनेक स्थानों पर ईद की नमाज़ हो सकती है, शरीयत इस बात की अनुमति देता है। इस वर्ष भी लॉकडाउन ही में ईद उल फित्र आ रही है इस लिए ऐसी स्तिथि में जिन स्थानों पर ईद की नमाज़ होती आ रही है उन स्थानों में डॉक्टरों के सुझावों और सरकारी निर्देशों के अनुसार ईद उल फित्र की नमाज़ अदा करें और बाकी लोग अपने अपने घरों में ईद की नमाज़ अदा करें, ईद की नमाज़ के लिए इमाम के सिवा तीन व्यक्तियों का होना आवश्यक है।
अगर कहीं ऐसा व्यक्ति तो हो जो नमाज़ पढ़ा सके अपितु वो ख़ुत्बा नहीं दे सके तो बिना ख़ुत्बे के ही ईद की नमाज़ अदा कर ली जाए, नमाज़ हो जाएगी। मौलाना ने कहा कि ईद के दिन हाथ मिलाने और गले मिलने की शरीयत में कोई जरूरी नहीं बताया गया है, इसलिए इस से बचें, ईद मिलन एवं बधाईयों के लिए इधर-उधर जाने से परहेज करें।
मौलाना मोहम्मद शमशाद रहमानी क़ासमी ने कहा है की जिस तरह जुमे की नमाज के लिए एक इमाम साहेब के साथ कम से कम तीन लोगो को अनिवार्य किया गया है उसी तरह ईद की नमाज पर भी लागू होता है। इसमे फर्क केवल इतना है कि जुमे की नमाज के पहले खुतबा पढ़ा जाता है और ईद की नमाज के बाद खुतबा होता है। हालांकि बगैर खुतबे के भी ईद की नमाज हो जाती है।