कोलकाता। तीसरी बार सीएम की कुर्सी संभालने के महज सात माह के भीतर ही मुख्यमंत्री एवं तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी आगामी सप्ताह दिल्ली दौरे पर जा रही हैं। इससे पहले 26 जुलाई को वह दिल्ली गई थीं और अगले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थीं। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई नेताओं के साथ बैठक कर भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की बात कही थी। उस समय दिल्ली रवाना होने से पहले पेगासस को लेकर दो सदस्यीय जांच आयोग गठित करने की घोषणा की थी। इस बार रवाना होने से पहले मंगलवार को बंगाल विधानसभा में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फैसले के विरुद्ध प्रस्ताव पारित कराया है।
ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इस प्रस्ताव से लाभ क्या होगा? इसी तरह का प्रस्ताव पंजाब में भी कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में पारित किया है। अब देखना है कि जब ममता राष्ट्रीय राजधानी पहुंचती हैं तो वह भाजपा और मोदी विरोधी किन नेताओं के साथ बैठक करती हैं? कहा जा रहा है कि वह एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी मिलेंगी और राज्य के बकाये और बीएसएफ का बढ़ाए गए अधिकार क्षेत्र जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगी। तृणमूल प्रमुख ने इससे पहले कहा था कि केंद्र का यह कदम केवल आम लोगों को प्रताड़ित करने वाला है और मोदी को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर आपत्तियां पहले ही उठा चुकी हैं। वहीं सदन की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली की नियम संख्या 169 के तहत बंगाल विधानसभा में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के खिलाफ प्रस्ताव पेश कर मांग किया गया कि फैसला फौरन वापस लिया जाए, क्योंकि बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाने से देश के संघीय ढांचे पर प्रहार होगा।