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बरेली: मंत्रियों को मालूम नहीं मदरसाें का इतिहास, सरकार शौक से कराए सर्वे – मौलाना


बरेली, : यूपी सरकार के मदरसों का सर्वे कराने के फैसले और असम में चार मदरसों पर भाजपा हुकूमत के बुलडोजर चलाकर गिराने पर इस्लामिक संगठनों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है। दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन तंजीम उलमा ए इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने इन राज्यों की सरकारों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि मदरसों का सर्वे कराए जाने पर हमें कोई आपत्ति नहीं है।

मदरसों में कुरान और हदीस की पढ़ाई के सिवा कुछ भी नहीं होता। मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि यूपी सरकार के अल्पसंख्यक राज्य मंत्रालयों, बोर्ड अध्यक्ष और राज्य सरकार के मंत्री उर्दू की एक लाइन भी नहीं जानते हैं। इन्हें क्या पता होगा कि ये मदरसे किन मुश्किल हालात से चलते हैं।

मुस्लिम कौम से मदरसा संचालक किस तरह भीख मांग कर मदरसा चलाते हैं। मौलाना ने जंग ए आजादी में देश के मदरसों की भूमिका का भी जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया जानती है कि आजादी की लड़ाई में मदरसों का कितना अहम रोल रहा है। अब मदरसों का आतंकी कनेक्शन निकालकर उन्हें ज़मीदोज करना है।

यूपी में मदरसों का सर्वे कराने का मकसद सिर्फ मुसलमानों को जहनी तौर पर परेशान करने के अलावा और कुछ नहीं। असम में मदरसों के आतंकी कनेक्शन निकालने पर भी उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि किसी भी मदरसे मे आतंक की ट्रेनिंग देने की बात बेबुनियाद है। इस्लाम में आतंक की कोई जगह नहीं है।

आतंकवाद भारत ही नहीं बल्कि मुस्लिम देशों की एक बहुत बड़ी समस्या है। जो लोग मदरसों पर इल्जाम लगा रहे हैं, उनसे मेरा आग्रह है कि वे मदरसे में आएं और शिक्षा देखें।

मदरसों की बदहाली को सपा सरकार भी जिम्मेदार

मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि मदरसों की खस्ताहाली के लिए समाजवादी पार्टी की सरकार भी जिम्मेदार है। वर्ष 2015 में सपा सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री आजम खां ने मदरसों को मान्यता देने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी। मान्यता का सिस्टम ये था की प्राइमरी दर्जे की मान्यता जिला स्तर और हाईस्कूल व इंटर दर्जे की मान्यता शासन स्तर पर होती थी। लेकिन तात्कालीन सपा सरकार ने एक आदेश जारी करके मान्यता देने पर रोक लगा दी थी।