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बाटला हाउसका सच


दिल्लीमें १३ साल पूर्व हुए बहुचर्चित बाटला हाउस मुठभेड़के आखिरी बचे दोषी इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के आतंकी आजमगढ़ निवासी आरिज खान उर्फ जुनैदको इंस्पेक्टर मोहन चन्द शर्माकी हत्याके जुर्ममें सोमवारको सजा-ए-मौत सुनाये जानेके साथ ही सभी दोषियोंके हिसाबका पटाक्षेप हो गया। इस मुठभेड़को लेकर उस समय सियासी पारा भी बहुत चढ़ा हुआ था। आजमगढ़में मुठभेड़के विरोधमें उलेमाओंने जहां विशाल जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया था वहीं यूपीएकी सरकार रहनेके बावजूद तुष्टïीकरण फोबियासे पीडि़त कांग्रेसके दिग्गज नेताओंने इस मुठभेड़को फर्जी बतानेमें कोई कोरकसर नहीं छोड़ी। आजमगढ़से लेकर दिल्लीके जंतर-मंतरतक किये गये प्रदर्शनमें कांग्रेसने अहम भूमिका निभायी। चौंकानेवाली बात यह थी कि बाटला हाउससे जुड़े आतंकियोंके नाम उस दौरान देशके विभिन्न हिस्सोंमें हुए धमाकोंमें आ चुके थे। साकेत कोर्टका यह फैसला कांग्रेसके लिए बड़ा सबक है जिसके शीर्ष नेताओंने मुठभेड़पर ही सवाल खड़े कर दिये थे। अदालतने अभियोजनके तर्कको माना कि यह आम हत्याका मामला नहीं है, बल्कि कानूनका पालन करनेवाले ऐसे अधिकारीकी हत्या है जो न्यायका रक्षक है। अदालतने आरिज खानके अपराधको दुर्लभसे दुर्लभतम श्रेणीमें रखते हुए कहा कि दोषी सहानुभूतिका हकदार नहीं है। अदालतने मृत्युदण्डके साथ ही आतंकी आरिजपर ११ लाख रुपयेका जुर्माना भी लगाया है। जुर्मानेमेंसे दस लाख रुपये दिवंगत इंस्पेक्टरके परिजनोंको मुआवजा स्वरूप देनेका निर्देश दिया है। शेष एक लाख अदालतमें जुर्मानेके तौरपर जमा होंगे। हालांकि मुआवजेकी राशि परिवारकी पीड़ा एवं सदमेको कम नहीं कर सकती। मोहन चंद शर्मा इकलौते संतान थे। उनकी पत्नी एवं दो बच्चे अब भी सदमेमें हैं। शहीद इंस्पेक्टरकी पत्नी माया शर्माने न्यायालयपर पूरा भरोसा जताते हुए कहा कि उन्हें १३ साल बाद न्याय मिला। यह न्यायसंगत फैसला सुकून देनेवाला है। इस मामलेको लेकर पहले भी राजनीति हो चुकी है और अब फैसलेके बाद भी होगी जो उचित नहीं है। राजनीतिक दलोंको सोचना होगा कि स्वार्थकी राजनीति अलग है, देशकी सुरक्षा सर्वोपरि है।

आईएसका जाल

कुख्यात आतंकी संघटन आईएसआईएसका जाल देशके विभिन्न राज्योंमें फैला हुआ है जो आतंकी गतिविधियोंको बढ़ावा देनेकी साजिशमें सक्रिय है। इस सन्दर्भमें राष्टï्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने केरलसे लेकर दिल्लीतक एक बड़ा अभियान चलाया और तीन लोगोंको गिरफ्तार भी किया है। सोमवारको दिल्ली, केरल और कर्नाटकमें ११ स्थानोंपर छापेमारी की गयी। केरलके कन्नूर,  मल्लपुरम, कोल्लम और कासरगोड जिलोंमें आठ स्थानोंपर जबकि बेंगलूरमें दो और दिल्लीमें एक स्थानपर तलाशी अभियान चलाया गया। छापेके दौरान लैपटाप और महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद किये गये। एनआईए अधिकारीका कहना है कि गिरफ्तार लोग आतंकी गतिविधियोंमें लिप्त समूहसे सम्बन्धित हैं, जिनका मास्टरमाइण्ड केरलका रहनेवाला मोहम्मद अमीन है। अमीन और उसके सहयोगी मुशाब अनवर और डाक्टर रहीस रशीद सोशल मीडिया प्लेटफार्मपर आईएसआईएसकी हिंसक जिहादी विचारधाराको बढ़ावा देनेवाले चैनलोंका संचालन करते हैं। साथ ही माड्ïयूलके लिए नये सदस्योंकी भरतीका भी कार्य किया जाता था। इस समूहने चरमपंथी लोगोंकी हत्या किये जानेकी साजिश रची थी। अमीनने जम्मू-कश्मीरकी कई बार यात्रा की थी और विगत दो महीनेसे वह दिल्लीमें रहकर जम्मू-कश्मीरके उन आतंकियोंके साथ सम्पर्कका प्रयास कर रहा था जिनके सम्बन्ध आईएसआईएससे थे। राष्ट्रीय जांच एजेंसीने पांच मार्चको सात ज्ञात और अन्य अज्ञात लोगोंके खिलाफ मामला भी दर्ज किया था। एनआईएने आईएससे जुड़े तारोंका पता लगाकर बड़ी सफलता दर्ज की है। इसमें राज्योंकी पुलिसने भी सहयोग किया है। छापेमारीके दौरान जो दस्तावेज और इलेक्ट्रिक उपकरण तथा लैपटाप मिले हैं उससे और भी राज खुल सकते हैं। इस बातकी प्रबल आशंका है कि देशके अन्य राज्योंमें भी इनकी सक्रियता अवश्य होगी। इसलिए एनआईएको राष्टï्रीय स्तरपर बड़े अभियान चलानेकी जरूरत है। इसमें गुप्तचर तंत्रकी भी बड़ी भूमिका हो सकती है। तलाशी और छापेमारीका अभियान सतत जारी रखनेकी आवश्यकता है। जम्मू-कश्मीरपर विशेष रूपसे ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि विगत कुछ महीनोंसे वहां आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं।