सम्पादकीय

लापरवाहीसे लौट रहा कोरोना


राजेश माहेश्वरीï

एक तरफ तो देशभरमें चल रहे टीकाकारणके आंकड़े प्रसारित हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कोरोनाके नये मामलोंमें वृद्धिकी खबरें भी बराबरीसे सुनाई दे रही हैं। गत दिवस नये संक्रमितोंकी संख्या चौंकानेसे ज्यादा डरानेवाली है। यदि इसपर नियन्त्रण नहीं हुआ तब टीकाकरण आगे पाट पीछे सपाटकी कहावत सच साबित हो जायगी। केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री हर्षवर्धनने भी एक वक्तव्यमें कहा कि कोरोनासे बचावके उपायोंका पालन करनेमें लापरवाहीके कारण संक्रमणके मामलोंमें वृद्धि हो रही है। देशमें फिर एक बार बीस हजारसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मिले हैं। सोमवारको २४,४३७ मरीजोंकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी, २०,१८६ ठीक हुए और १३० की मौत हो गयी। इस महीने १५ दिनमें २ लाख ९७ हजार ५३९ नये मरीज मिले हैं। २ लाख ४१ हजार ६३ मरीज ठीक हुए हैं, जबकि १,६९८ मरीजोंने जान गंवायी। आंकड़ोंकी रोशनीमें बात की जाय तो देशमें अबतक कुल १ करोड़ १४ लाख ९ हजार ५९५ लोग इस महामारीकी चपेटमें आ चुके हैं। इनमेंसे १ करोड़ १० लाख २५ हजार ६३१ ठीक हुए हैं। १ लाख ५८ हजार ८९२ ने जान गंवायी है, जबकि २ लाख २० हजार ४०१ हजारका इलाज चल रहा है।

दुनियाभरकी बात की जाय तो मार्चके शुरुआती १५ दिनोंमें ही ६१ लाखसे ज्यादा मामले सामने आये हैं। इनमें भी सात दिन तो रोजाना मिलनेवाले संक्रमितोंका आंकड़ा ४ लाखसे भी ज्यादा था। सचाई यह है कि लोगों द्वारा लापरवाही की जा रही है। बाजारमें लोग बिना मास्कके घूम रहे हैं। वहीं दुकानदारों द्वारा भी कोरोनाके प्रोटोकॉलका पालन नहीं किया जा रहा है। मास्क और शारीरिक दूरीकी सलाह पूरी तरह उपेक्षित है। देशके बाकी हिस्सोंमें भी कोरोनाको लेकर पैदा खौफ पूरी तरह खत्म होने लगा है। सरकार द्वारा लगाये गये प्रतिबंध अब न के ही बरारब रह गये हैं। इस ढिलाईसे भी संक्रमणके लौटनेकी स्थितियां बन रही हैं। रेलगाडियोंका परिचालन बढऩेसे आवागमन बढऩे लगा है। घरेलू उड़ानोंको भी भरपूर यात्री मिल रहे हैं। सिनेमा घर खुल गये हैं और होटल-रेस्टारेंट भी गुलजार हैं। इस महीनेके अंतमें होलीका उत्सव होगा। फिर आ जायगा शादियोंका मौसम। कोरोना संक्रमणका खतरा सबसे ज्यादा बसोंसे सफर करनेके दौरान हो सकता है। परंतु इस ओर न ही प्रशासन न ही बस संचालक ध्यान दे रहे हैं। देखनेमें आ रहा है कि बसोंमें अधिक संख्यामें सवारियोंको बैठाया जा रहा है। वहीं यात्रियों द्वारा भी मास्कका उपयोग नहीं किया जा रहा है। आशय कि लॉकडाउन हटनेके बाद कोरोनामें क्रमश: आयी गिरावटने जो उम्मीदें जगायी थी, टीकाकरण शुरू होनेसे और बलवती होने लगीं। नतीजतन इसका असर हुआ कि लोगोमें बेफिक्री आने लगी जो लापरवाहीकी हदतक जा पहुंची। उसीका परिणाम हुआ कि जिस कोरोनाकी विदाई मानकर राहतकी सांस ली जा रही थी, वह लौट आया है।

सबसे ज्यादा डरावने हालात महाराष्टï्रके हैं। महाराष्ट्र सरकारने कोरोनाके बढ़ते मामलोंके मद्देनजर ३१ मार्चतकके लिए नयी पाबंदियां लागू कर दी हैं। इसके तहत सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल, होटल और रेस्टोरेंट ५० प्रतिशत कैपिसिटीके साथ खोले जायंगे। यहां बिना मास्क पहले लोगोंको एंट्री नहीं दी जायगी। महाराष्टï्रमें सोशल, कल्चरल, पॉलिटिकल और धार्मिक जमावड़ेपर रोक रहेगी। नियम तोडऩेवालोंपर जुर्माना लगाया जायगा। शादीमें ५० लोगोंके शामिल होनेकी ही इजाजत होगी। ज्यादा लोग मिलनेपर आयोजकपर डिजास्टर एक्टके तहत काररवाई की जायगी। बीते सोमवारको महाराष्ट्रमें १५,०५१ कोरोना संक्रमित नये मरीज मिले हैं। वहीं एक हफ्तेके लिए नागपुरमें पूर्ण लॉकडाउन शुरू हो चुका है। केरलमें भी नये मामलोंकी रफ्तार रुकनेका नाम नहीं ले रहे हैं। पंजाबने भी नये मामलोंमें बढ़तको देखते हुए बोर्ड परीक्षाओंकी तारीखें आगे बढ़ा दी हैं। उत्तर प्रदेशमें हालात अबतक सामान्य थे, लेकिन पिछले एक सप्ताहसे केस फिरसे बढऩे लगे हैं। ऐसेमें प्रदेश सरकारने संक्रमणके नये मामलोंको देखते हुए सरकारने अब सभी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रोंपर रविवारको छोड़कर हर दिन टीकाकरण करनेका फैसला लिया है। देशमें अबतक लगभग तीन करोड़ लोगोंको कोविड टीके लगाये जा चुके हैं और अभियानमें तेजी आ रही है।

पिछले दिनों महाशिवरात्रिके अवसरपर हरिद्वारमें कुम्भका शुभारम्भ हुआ। एक माहतक चलनेवाले इस आयोजनमें करोड़ों लोगोंकी आवक होगी। शाही स्नान और विभिन्न पर्वोंके दिन श्रद्धालुओंकी भीड़ हरिद्वारमें उमड़ेगी। कुम्भ मेला भारतके सबसे बड़े आयोजनोंमेंसे है। लेकिन यह आयोजन ऐसे समयमें हो रहा है जब देशमें कोरोनाकी दूसरी लहरने जोरदार दस्तक दे दी है। महाराष्ट्र, केरल और गुजरातसे आ रही खबरें भी चिन्तामें डालनेवाली हैं। पूरे देशसे लोग कुम्भमें आयेंगे वहीं असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरलमें विधानसभा चुनावकी सरगर्मीके कारण कोरोनासे बचावके प्रति वैसे भी लापरवाही देखी जा रही है। कोरेानाकी नयी दस्तकके चलते इंडिया और इंग्लैंडके बीच अहमदाबादके नरेंद्र मोदी स्टेडियममें खेली जा रही पांच टी-२० की सीरीजपर कोरोनाका साया मंडराने लगा। सीरीजके आखिरी तीन मैच अब बिना दर्शकोंके ही होंगे। वास्तवमें सरकारका पूरा ध्यान मौजूदा समयमें टीकाकरणपर है। ऐसेमें यदि कोरोना पहलेकी तरह फैला तब हालात अनियत्रिंत हो जायंगे। कोरोनाको लेकर जिस तरहकी लापरवाही देखी जा रही है, वह गंभीर संकटको आमंत्रित करनेवाली है। बीते एक सालके अनुभवसे देशका हर व्यक्ति इस बीमारी और उससे बचनेके तरीकोंसे प्रशिक्षित हो चुका है।

हमारे आस-पास हुईं मौतोंसे हमें जो सबक मिला उसे इतनी जल्दी भुला देना मूर्खता होगी। इसलिए व्यर्थकी बहादुरी दिखानेकी बजाय बुद्धिमत्ताका प्रदर्शन करनेमें ही भलाई निहित है। देशने इस घातक बीमारीपर विजय पानेके लिए जो कुछ किया, उसकी पूरी दुनियामें प्रशंसा हो रही है। हमारे यहां तैयार हुए टीके भी विदेशोंमें जा रहे हैं। ऐसी स्थितिमें कोरोनाका पुनरागमन हमारी जगहंसाई करवा देगा। संक्रमण बढ़ रहा है। उसको देखते हुए अब लोगोंको भारत सरकारकी गाइड लाइनका पालन करना चाहिए। सभीको मास्क, सैनिटाइजरका उपयोग करना चाहिए। साथ ही यात्राओंको टालनेकी कोशिश करें। इसीके साथ सभी अपनी इम्यूनिटी बढ़ानेके लिए प्रति दिन योग करें। इसीके साथ अपने खान-पानपर भी ध्यान दें। इन मामूली तरीकोंको अपनाकर अपनी एवं अपनोंकी जानकी रक्षा की जा सकती है। यह जरूरी नहीं है कि हर बार प्रधान मंत्रीके आह्वान या प्रशासनकी सख्तीके बाद ही हमारी चेतना जागृत हो।