पटना

बिहारशरीफ: एनएच फोरलेनिंग में विस्थापित लोगों का हाल- कोसुक में 40 महादलित परिवार बगैर छत और घुटने भर पानी में रहने को है मजबूर


      • पानी में भींग रहे बच्चे, लोग सर पर सामान रखकर खोज रहे हैं ठिकाना
      • प्रशासनिक दावा कि पहुंचाया जा रहा सहायता का पोल खोल रही है यह तस्वीर
      • सड़क निर्माण को लेकर खाली कराने के वक्त मिला था पक्का घर का आश्वासन लेकिन दो साल बाद भी बनी है यह स्थिति
      • अपनी मांगों को लेकर समय-समय पर सड़क जाम करते रहे थे लोग

बिहारशरीफ (आससे)। विकास की रफ़्तार में कई जिंदगियां सड़कों पर आज चुकी है। बिहारशरीफ-राजगीर एनएच के फोरलेनिंग को लेकर कोसुक में सड़कों पर बसी गरीब दलितों की आबादी इन दिनों खुले आसमान में रहने को विवश हो गया है। जब सड़क फोरलेनिंग का काम शुरू हुआ तो कोसुक के इन महादलित परिवारों को सड़क खाली करने को कहा गया। लोग खाली नहीं कर रहे थे क्योंकि उसी पर आबादी बसी थी। तब प्रशासन ने कोसुक नदी के किनारे परती जमीन पर लोगों को तत्काल बसने को कहा था और भरोसा दिलाया था कि जल्द ही उनलोगों के लिए पक्का मकान बनेगा।

सरकारी आश्वासन के बाद महादलित आबादी सड़कों से हटी और सड़क निर्माण का काम शुरू हुआ। फोरलेनिंग का कार्य चल रहा है और यह आबादी पिछले डेढ़ दो वर्षों से कोसुक नदी के किनारे झुग्गी-झोपड़ी बना कर रह रही थी। लगातार अधिकारियों से संपर्क में थी कि उनके लिये घर बना दिया जाय, लेकिन धार के जगह सिर्फ आश्वासन ही मिला। अब स्थिति यह हो गयी है कि तूफान की बारिश में घरों का छप्पर उजड़ गया और पानी से दीवार बह गया। जहां आबादी बस रही थी वहां घुटना भर पानी जमा है। लोगों के समक्ष सर छुपाने की समस्या हो गयी है। बच्चे, बूढ़े, जवान तबाह है। लगभग 40 घर यहां बसा है जो महादलित परिवार से आता है। लोगों ने अपनी विपदा की कहानी जिला प्रशासन तक पहुंचाई। प्रशासनिक लोगों ने प्लास्टिक का एक-एक टुकड़ा दे दिया और इसी से सर छुपाने को कहा। जो नाकाफी साबित हुआ। स्थिति यह है कि लोग इधर-उधर भारी बारिश के बावजूद रोजमर्रे की सामग्री लेकर भागे फिर रहे है। रहने का कहीं ठिकाना नहीं मिल रहा है।

बताते चले कि एनएच चौड़ीकरण में विस्थापित किये गये कोसुक के महादलित परिवार के लोग समय-समय पर जिला प्रशासन को आगाह करते रहे है और जब इनकी बाती अनसुनी होती रही तो इन लोगों द्वारा कई बार सड़क भी जाम किया गया, लेकिन इनकी स्थिति नहीं सुधरी और अब तो यास तूफान ने इनके जीवन को ही तबाह कर डाला है। काश प्रशासन सजग हुआ होता और गंभीर होता इन परिवारों के प्रति तो शायद यह स्थिति नहीं उत्पन्न होती।

हालांकि दूसरी ओर बिहारशरीफ बीडीओ का कहना है कि उन्हें सूचना मिली है और प्रशासन लगातार गांव पहुंचकर सहायता मुहैया करा रही है। लेकिन प्रशासनिक दावे कितने सच है यह बयान कर रही है वहां की तस्वीर। अभी भी लोग टूटे-फूटे झुग्गियों में रह रहे है जहां घुटना भर पानी है। बच्चे पानी में भींग रहे है और प्रशासनिक महकमा सहायता पहुंचाने की बात कर रही है।