लच्छा और सेवई साथ तो नहीं खाये लेकिन वीडियो कॉल के जरिये सगे-संबंधियों को स्वाद चखते जरूर देखा
बिहारशरीफ (आससे)। जिले में शुक्रवार को ईद मना, लेकिन ईद को लेकर कहीं उत्साह देखने को नहीं मिला। ना ईदगाह खुली थी और ना मस्जिद खुला था। सार्वजनिक स्थलों पर भी लोगों को मिलने जुलने पर भी पाबंदी थी और जागरूक लोग खुद भी इससे दूरी बनाये रखे थे। यही वजह थी कि लोगों ने घरों में ही ईद की नमाज अता की और मोबाइल से ही एक-दूसरे को ईद की बधाईयां दी।
कोरोना को लेकर राज्य सरकार ने अभी तो लॉकडाउन कर रखा है, लेकिन धार्मिक स्थलों यथा मंदिर, मस्जिदों में पहले से ही तालाबंदी करवा रखी थी। शुक्रवार को बिहारशरीफ शहर की सभी मस्जिद और ईदगाहों पर पुलिस की तैनाती थी ताकि कोई भी लोग नमाज अता करने के लिए भीड़-भाड़ ना लगाये। हालांकि ऐसा कोई प्रयास नहीं देखा गया। पहले ही अनाउंस हो चुका था कि लोग घरों में ही नमाज अता करेंगे और हुआ भी ऐसा ही। इसके पहले रमजान के दौरान लोग तरावीह भी घर में पढ़े और जुम्मा की नमाज भी घर में ही अता किये। सड़कों पर भी ईद का कोई नजारा नहीं दिखा। ना लोग एक-दूसरे को ईद की बधाई देने निकले और ना हीं सेवई और लच्छा खाने।
लोगों ने घरों में नमाज अता की और फिर बधाईयों का सिलसिला फोन कॉल और वीडियो कॉल से शुरू हुआ। एक-दूसरे को लच्छा और सेवई तो नहीं खिला पाये लेकिन टेक्नोलॉजी के जमाने में वीडियो कॉल के जरिये अपने सगे-संबंधियों को लच्छा खाते जरूरत देखे। गत वर्ष भी कोविड और लॉकडाउन की वजह से ईद में लगभग यही स्थिति थी।