पटना

बिहारशरीफ: नियमों को ताक पर रखकर सिविल सर्जन ने कर डाला पांच सहायक और दो एएनएम का स्थानांतरण


      • स्थानांतरण की प्रक्रिया को लेकर आरडीडी ने सिविल सर्जन से पूछा स्पष्टीकरण
      • बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने डीएम को ज्ञापन सौंपकर अनियमित स्थानांतरण को रद्द करने और सीएस पर कार्रवाई करने की मांग रखी

बिहारशरीफ। कोविड के तीसरे वेभ से पूरा जिला और प्रदेश जहां दहशतजदा है और लोगों को स्वस्थ रखने की जवाबदेही स्वास्थ्य महकमा पर है लेकिन नालंदा जिले के स्वास्थ्य महकमा के प्रमुख यानी सिविल सर्जन इससे इतर संकट के इस दौर में भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मियों के स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति का खेल खेलने मे मशगूल है। हालांकि ऐसे मामलों की भनक के बाद रीजनल डिप्टी डायरेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्पष्टीकरण पूछा है और साथ हीं यह भी कहा है कि निधि निर्धारण के प्रतिकूल स्थानांतरण को निरस्त कर दी जायेगी और इसकी सूचना विभागीय उच्च अधिकारी को अनुशंसा सहित भेजी जायेगी। यह कहा जा सकता है कि इस मामले को लेकर क्षेत्रीय अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं पटना प्रमंडल ने नालंदा के सिविल सर्जन को चेतावनी भी दी है।

क्षेत्रीय अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवा ने दिनांक 24 जनवरी के निर्गत पत्र में कहा है कि आपके ज्ञापांक 3735, दिनांक 27-12-2021, ज्ञापांक 40, दिनांक 06-01-2022, ज्ञापांक 220, दिनांक 21-01-2022 के विभिन्न पत्रें द्वारा स्वास्थ्य विभागीय ज्ञापांक 1466(4), दिनांक 18-12-2017 तथा मंत्रीमंडल सचिवालय एवं समन्वय विभाग बिहार पटना के ज्ञापांक 434, दिनांक 01-09-2007 द्वारा जून माह से अन्यत्र स्थानांतरण हेतु निहित निदेश के प्रतिकूल लिपिक संवर्ग का स्थानांतरण की गयी है।

पत्र में यह भी कहा गया है कि नियम के विरुद्ध स्थानांतरण हेतु प्रस्ताव पत्र आपके द्वारा अग्रतर कार्रवाई किया जाना स्वास्थ्य विभाग दिशानिर्देश के प्रतिकूल रहने के कारण अनुशासनिक कार्रवाई अपेक्षित है। तत्कालीन सिविल सर्जन नालंदा के कार्यकाल में नीति निर्धारण के प्रतिकूल स्थानांतरण पर आपके जिला अंतर्गत उच्च पदाधिकारी द्वारा अनुशासनिक कार्रवाई संबंधित सहायक पर की जाने के बावजूद पुनः कृत्य किया जाना समझ से परे है। पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि आपके द्वारा जून माह से अन्यत्र स्थानांतरण पर अपना प्रतिउत्तर तत्क्षण देना सुनिश्चित करें।

बताते चले कि सिविल सर्जन द्वारा मनोज कुमार, लिपिक जो पहले निलंबित थे को सिविल सर्जन कार्यालय से अनुमंडलीय अस्पताल राजगीर में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसी प्रकार सिविल सर्जन द्वारा और भी स्थानांतरण किया गया था, जिसमें जनार्दन प्रसाद, जो सिविल सर्जन कार्यालय में पदस्थापित थे का स्थानांतरण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रहुई, शैलेंद्र कुमार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गिरियक को सिविल सर्जन कार्यालय नालंदा, अशोक कुमार जिला मलेरिया कार्यालय नालंदा को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गिरियक, पंकज कुमार अनुमंडलीय अस्पताल राजगीर को अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गाजीपुर, गिरियक में स्थानांतरित किया था। सिविल सर्जन द्वारा ज्ञापांक 3735, दिनांक 27 दिसंबर 2021 द्वारा उक्त स्थानांतरण किया गया।

जबकि स्वास्थ्य विभाग का यह स्पष्ट निर्देश है कि स्थानांतरण सिर्फ जून माह में ही होगा। इसके बाद भी कोरोना जैसे संकट के दौर में स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों का स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति नहीं किया जाना है। सूत्रों की मानें तो इन कर्मचारियों के स्थानांतरण में मोटी राशि की लेनदेन हुई है और इसी फिराक में बेमौसम कर्मियों का स्थानांतरण हुआ है। सिविल सर्जन के इस निर्णय से बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ भी नाराज है। संघ के अध्यक्ष सिद्धेश्वर प्रसाद ने जिला पदाधिकारी नालंदा को 25 जनवरी को ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उक्त स्थानांतरण को अवैध बताते हुए कई बिंदुओं पर आपत्ति जतायी है। उन्होंने बताया है कि उक्त स्थानांतरण के अलावे स्वास्थ्य उपकेंद्र दनियावां-पेंदापुर के एएनएम श्रीमती अर्चना कुमारी को स्वास्थ्य उपकेंद्र चौरासी नगरनौसा, श्रीमती गिरिजा कुमारी को स्वास्थ्य उपकेंद्र चौरासी नगरनौसा से स्वास्थ्य उपकेंद्र दनियावां-पेंदापुर में पारस्परिक स्थानांतरण किया गया है। यह भी उचित समय में नहीं हुआ है।

उन्होंने ज्ञापन में सरकार के विभागों के पत्रों का हवाला दिया है और कहा है कि शैलेंद्र कुमार लिपिक पूर्व में भी सिविल सर्जन कार्यालय में पदस्थापित थे जबकि मनोज कुमार लिपिक गंभीर आरोपों में निलंबित थे और पूर्व में अनुमंडलीय अस्पताल राजगीर में पदस्थापित थे। अशोक कुमार लिपिक मलेरिया कार्यालय में एक ही वर्ष से पदस्थापित थे, जबकि तीन वर्ष के पूर्व स्थानांतरण अवैध है। उन्होंने यह भी बताया है कि पांच साल से एक ही स्थल पर पदस्थापित एएनएम का स्थानांतरण करना है, जबकि उससे कम अवधि में एएनएम का स्थानांतरण किया गया है। उन्होंने अविलंब स्थानांतरण रद्द करने और दोषी पदाधिकारी पर कार्रवाई करने की मांग की है।