बिहारशरीफ (आससे)। भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर स्थित नंद्यावर्त महल तीर्थ पर अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्नसागर जी महाराज, सौम्यमूर्ति श्री पियूषसागर जी महाराज एवं ऐलक श्री पर्वसागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में अष्टान्हिक महापर्व के अन्तर्गत सिद्धचक्र महामण्डल विधान चल रहा है। अष्टान्हिक पर्व के 7वें दिन आज मण्डल पर 512 अर्घ्य चढ़ाकर अर्घ्य समर्पित किये गये। क्रम-क्रम से सिद्धों के गुणों की पूजन करते हुए यह अर्घ्य प्रतिदिन मण्डल पर समर्पित किये जाते हैं। यह एक महा अनुष्ठान है किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए।
कुण्डलपुर तीर्थ के महामंत्री विजय कुमार जैन ने बताया कि आचार्य प्रसन्नसागर जी महाराज महातपस्वी साधना महोदधि संत हैं, जो कि 2 दिन में एक बार अन्न, जल ग्रहण करते हैं। उसके पश्चात् 48 घंटे पानी की एक भी बूंद ग्रहण नहीं करते हैं। ऐसे तपस्वी महासाधु के ससंघ सान्निध्य में सिद्धचक्र महामण्डल विधान का आयोजन भिण्ड के मनीष जैन श्रीमती प्रिया जैन के द्वारा किया जा रहा है। ईशान इन्द्र श्री सजन जैन बंटी-अहमदाबाद, माहेन्द्र इन्द्र अजय सेठी-धूलियान, धनकुबेर-अमित बड़जात्या एवं इन्द्र श्री चिरंजीलाल सुमतिबाई कासलीवाल-पटना बनकर बैठने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं।
इस महा अनुष्ठान में लगभग 100 लोग इन्द्र-इन्द्राणी बनकर बैठे हुए हैं, जो कि महापूजा का लाभ ले रहे हैं। प्रातःकाल भगवान महावीर के अभिषेक के साथ प्रारंभ हुआ आज का दिवस। जिसमें भगवान महावीर का अभिषेक एवं शांतिधारा की गई। उसके पश्चात् समारोह स्थल पर सिद्धचक्र मण्डल विधान पर विराजमान भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा सम्पन्न किये गये। तत्पश्चात् सिद्धचक्र महामण्डल विधान का अनुष्ठान प्रारंभ किया गया। पूज्य आचार्यश्री के मुखारविंद से मंत्रों का उच्चारण किया गया।
मध्याह्न में चतुर्दशी का वृहद् प्रतिक्रमण सम्पन्न किया गया। इसके पश्चात् गुरुभक्ति एवं आनंद यात्रा के साथ भगवान की मंगल आरती एवं आचार्यश्री की मंगल आरती तथा मैनपुरी से पधारे पं. सुशील कुमार जी जैन के प्रवचनों का लाभ सभी ने प्राप्त किया। सम्पूर्ण विधिविधान पं. कमलेश शास्त्री-वाराणसी के द्वारा सम्पन्न कराया जा रहा है।