पटना

बिहारशरीफ: वह दिन दूर नहीं जब पंजाब, हरियाणा के किसान बीज के लिए होंगे बिहार पर निर्भर: अमरेंद्र प्रसाद


कृषि मंत्री ने चंडी सेंटर ऑफ एक्सिलेंस फॉर वेजिटेबल का किया निरीक्षण

बिहारशरीफ (आससे)। शनिवार की देर शाम कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने सेंटर ऑफ एक्सिलेंस फॉर वेजिटेबल पहुंचकर वहां हो रही सब्जी की खेती का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने सेंटर ऑफ एक्सिलेंस में बने किसान प्रशिक्षण भवन, हाईटेक नर्सरी, पॉली हाउस में उपजाये जा रहे जैविक सब्जी उत्पादों को भी देखा।

उन्होंने कहा कि 15 साल पहले बिहार में एक भी कृषि कॉलेज नहीं था, लेकिन वर्तमान में सात कृषि कॉलेज कार्य कर रहे है। इतना ही नहीं वर्तमान में बिहार में 50 कृषि विज्ञान केंद्र तथा 40 लेबोरेटरी सेंटर भी कार्यरत है। जहां बिहार के कृषि वैज्ञानिक नयी-नयी तकनीकों का इजाद कर रहे है। किसानों की मिट्टी परीक्षण किया जा रहा है, जिससे उन्हें कम लागत से दोगुना उपज तक प्राप्त हो रहा है।

उन्होंने बताया कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल्स बिहार में दो है। पहला नालन्दा जिले के चंडी में है जहां जैविक सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है तथा दूसरा हाजीपुर में। उन्होंने कहा कि यह सूबे का इकलौता जैविक सब्जी उत्पादन केंद्र है। यहां इंडो इजराइल पद्धति से ऑर्गेनिक सब्जी उपजाया जाता है। इस पद्धति से उपजाया जा रहा सब्जी को राज्य के कई जिले के किसान पहुंचकर प्रशिक्षण ले रहे है।

उन्होंने कहा कि वह  दिन दूर नही जब पंजाब हरियाणा के किसान बीज के लिए बिहार पर निर्भर रहेगा। बिहार के किसान जैविक खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहा है। जिससे कृषि क्षेत्र में किसानों को फायदा हो रहा है। उन्होंने बताया कि केला में सिर्फ हाजीपुर की नही मोनोपॉली है। बिहार के 20 जिलों में केले की खेती होने लगी हैं। मखाना पहले उतर बिहार के कुछ जिलों में पैदा होता था अब तमाम जिलों में मखाना की उपज होने लगी है। चाय असम में होती थी अब बिहार में होने लगी है किशनगंज कटिहार में उन्नत चाय की केती होने लगी है। जिसकी मांग विदेशों में हो गयी है। बिहार में उत्पादकता खेती का महत्व है।

उन्होंने बताया कि पंडित दीनदयाल का सपना साकार होगा। हर खेत को पानी पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में अपार रोजगार की संभावनाएं हैं। अब बिहार ड्रिप सिंचाई पर ज्यादा ध्यान दे रही है। जिससे पानी का खपत कम हो रहा है। ड्रिप सिंचाई से पौधा को जितना पानी की जरूरत है। उतना ही पानी का उपयोग होगा। इसका लाभ सीधे किसान को ही मिलेगा। इसके लिए सरकार 90 प्रतिशत अनुदान दे रही है। जितना खाद्य की जरूरत है।

इस मौके पर भाजपा नेता धीरेंद्र रंजन, उधान विभाग डिप्टी डायरेक्टर नितेश राज, प्रोजेक्ट पदाधिकारी डॉ अभय कुमार, डीएओ विभु विद्यार्थी, सहायक निदेशक उधान ज्ञानचंद सहित अन्य लोग शामिल थे।