पटना

बिहार के ट्रेनिंग कॉलेजों के पुस्तकालय बने मॉडल


(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य के सभी 66 सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों के पुस्तकालय मॉडल बन गये हैं। टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में पढऩे वाले प्रशिक्षु शिक्षकों ने नवाचार से पुस्तकालयों को मॉडल बनाया है। इससे इन कॉलेजों में पुस्तकों और प्रशिक्षु शिक्षक पाठकों के बीच दूरी घट गयी है। इन कॉलेजों में वर्तमान तकरीबन 17 हजार प्रशिक्षु शिक्षक टीचर्स ट्रेनिंग की पढ़ाई कर रहे हैं।

शिक्षा विभाग के शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक डॉ. विनोदानंद झा की पहल पर नवाचार के जरिये टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों के पुस्तकालयों को मॉडल बनाने की शुरूआत सारण के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) से हुई। सारण जिले का जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान सोनपुर में है। वहां के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य के नेतृत्व में व्याख्याताओं एवं प्रशिक्षु शिक्षकों ने श्रमदान से पुस्तकालय को मॉडल बनाने की ठानी। और, देखते ही देखते वहां के पुस्तकालय की तकदीर बदल गयी।

उसके बाद उसका अनुशरण बाकी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों के व्याख्याताओं एवं प्रशिक्षु शिक्षकों ने किया। श्रमदान से पुस्तकालयों की साफ-सफाई हुई। किताबें नये सिरे से सूचीबद्ध हुईं, ताकि पाठकों को पता चल सके कि पुस्तकालय में कौन-कौन सी किताबें हैं और किस स्थान पर हैं। खास बात यह है कि यह सब व्याख्याताओं एवं प्रशिक्षु शिक्षकों ने स्वेच्छा से किया। जब पुस्तकालय सही मायने में पुस्तकों का आलय बन गये, तो उसके रख-रखाव की जवाबदेही भी तय हो गयी। इसके लिए भी व्याख्याता स्वेच्छा से सामने आये।

इसका नतीजा यह हुआ कि व्याख्याताओं एवं प्रशिक्षु शिक्षकों का लगाव पुस्तकों के प्रति बढऩे लगा। इससे उनमें पुस्तकों को पढऩे की ललक बढऩे लगी। इससे किताबों और पाठकों के बीच की दूरी घटने लगी। व्याख्याता एवं प्रशिक्षु शिक्षक किताबों के करीब आने लगे। पुस्तकालयों में पड़ीं दुलर्भ पुस्तकों ने तो उन्हें उत्साह में भर दिया।

इस नवाचार में हाथ, दिमाग और हृदय का समागम एक साथ हुआ। शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक डॉ. विनोदानंद झा बताते हैं कि किताबों को पढ़ा जाना ही पुस्तकालय के लिए सबसे अच्छी बात है। किताबें संभाल कर रखी जाय, पढ़ी जाय, परंतु पढऩे के दौरान यदि किताबें फट भी जायें, तो किसी पर दोषारोपण नहीं किया जाना चाहिये। किसी पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या कितनी है, इससे बढ़ कर है, उसकी गुणवत्ता, उपयोगिता तथा पुस्तक का पढ़ा जाना।

बहरहाल, नवाचार के तहत सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों के पुस्तकालयों का अपना अलग ही आकर्षण बन गया है। उसमें पुस्तकों से जुड़ी अच्छी कविताओं के पोस्टर भी टंगने लगे हैं। पुस्तकालय समय से खुल रहे हैं। उसमें प्रशिक्षु शिक्षक पढ़ रहे हैं।