पटना

बिहार के 9 जिले शीतलहर की चपेट में


पटना (आससे)। बिहार में तापमान बढऩे से कड़ाके की ठंड में आंशिक सुधार के आसार हैं। हवाओं की दिशा में बदलाव होने से ठंड में कमी आ सकती है। पिछले दो दिनों से उत्तर पश्चिमी दिशा से हवाओं का प्रसार हो रहा था। इससे राज्य के 13 जिलों में कनकनी बनी रही। अब हवाओं की दिशा दक्षिणी पश्चिम हो गई है। हालांकि ठंड बरकरार है।

मौसमविदों का कहना है कि पर्वतीय इलाकों में हुई बर्फबारी के बाद उत्तर दिशा से आने वाली हवाओं ने सूबे में ठंड बढ़ा दी लेकिन अब इन बर्फीली हवाओं से काफी हद तक राहत है। हवा का रुख बदलने से कनकनी घटेगी। पिछले 24 घंटों में गया और पटना के न्यूनतम तापमान में भी कमी देखी गई। लेकिन अब भी सूबे के कई शहरों का अधिकतम पारा सामान्य से छह से आठ डिग्री तो न्यूनतम पारा तीन से पांच डिग्री तक कम है। यही वजह है कि कहीं दिन में ठंड ज्यादा है तो कहीं रातें सर्द हैं।

मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार सूबे के नौ जिले पिछले दो दिन शीतलहर की चपेट में रहे। इनमें पिछले 24 घंटों में पटना समेत छह जिलों में गंभीर शीत दिवस की स्थिति रही। यानी इन जिलों में अधिकतम पारा सामान्य से काफी नीचे रहा। जिन जिलों में गंभीर शीतदिवस की स्थिति थी उनमें पटना, गया, मुजफ्फरपुर, छपरा, दरभंगा और डेहरी शामिल हैं। इसके अलावा पूर्णिया, सुपौल और फारबिसगंज में शीतदिवस की स्थिति बनी है।

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार ओडिशा और इसके आसपास प्रतिचक्रवात की स्थिति बनी हुई है। इस वजह से वायुमंडल के ऊपरी सतह पर पुरवा जबकि वायुमंडल की निचली सतह पर दक्षिणी पश्चिमी हवा का प्रवाह है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि अब अगले दो दिन में ठंड में बढ़ोतरी नहीं होगी। दिन में धूप खिलेगी जिससे पारा आंशिक रूप से ऊपर चढ़ेगा। न्यूनतम तापमान के भी बेहतर होने के आसार हैं।

गुरुवार को धूप निकलने की वजह से मौसम में आंशिक सुधार आया। पटना और गया का अधिकतम पारा लगभग तीन डिग्री तक ऊपर चढ़ा। मौसमविदों का कहना है कि अगले 24 घंटे में भी स्थिति ऐसी ही रहेगी। सूबे के लगभग सभी शहरों में न्यूनतम तापमान में आंशिक बढ़ोतरी हो सकती है।

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार सूबे के अधिकतर भाग में घने कोहरे की स्थिति बनी हुई है। अगले 24 से 48 घंटों में भी इसके बने रहने के आसार है। जिन जिलों में पिछले 24 घंटों में शीतदिवस की स्थिति रही है वहां अगले 24 घंटे के लिए भी सचेत रहने को कहा गया है। अगर शीत दिवस की स्थिति न भी बने तो अधिकतम पारा सामान्य से काफी नीचे रहेगा और स्थितियां शीत दिवस के आसपास ही रहेंगी।