शिक्षा सेवक भी रखेंगे शराब पीने-बेचने वालों पर नजर
-
-
- पकड़वाने वाले शिक्षकों व शिक्षा सेवकों की पहचान रहेगी गोपनीय
- अपर मुख्य सचिव का सभी आरडीडीई, डीईओ, डीपीओ को निर्देश
-
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य में सरकारी स्कूलों के शिक्षक एवं शिक्षा सेवक भी अब शराब पीने वालों पर नजर रखेंगे। शराब की आपूर्ति करने वालों पर भी नजर रखेंगे। और, शराब पीने एवं उसकी आपूर्ति करने वालों को पकड़वायेंगे भी।
यह व्यवस्था नशामुक्ति अभियान को गति देने एवं समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए की गयी है। इस बाबत शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव संजय कुमार द्वारा सभी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों, जिला शिक्षा पदाधिकारियों तथा जिलों में स्थापना, समग्र शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा-साक्षरता एवं मध्याह्न भोजन के प्रभार वाले जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को दिये गये हैं। ये निर्देश इसलिए दिये गये हैं कि ऐसी सूचनाएं अभी भी प्राप्त हो रही हैं कि अभी भी कतिपय लोगों द्वारा चोरी-छुपे शराब का सेवन किया जा रहा है। इसका दुष्परिणाम शराब पीने वाले और उनके परिवार पर पड़ रहा है।
अपर मुख्यसचिव संजय कुमार के निर्देश के मुताबिक प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में शिक्षा समिति की बैठक बुलायी जायेगी तथा नशामुक्ति के संदर्भ में जरूरी जानकारी दी जायेगी। इसके साथ ही प्राथमिक विद्यालयों, मध्य विद्यालयों एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के सभी प्रधानाध्यापक, शिक्षक, शिक्षिका, शिक्षा सेवक, तालिमी मरकज शिक्षा सेवक एवं विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्य चोरी-छुपे शराब पीने वाले या उसकी आपूर्ति करने वाले लोगों की पहचान कर मद्यनिषेध विभाग को फोन पर देंगे। इसके लिए मोबाइल नम्बर 9473400378 एवं 9473400606 तथा टॉल ïफ्री नम्बर 18003456268/15545 जारी किये गये हैं। सूचना देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जायेगी।
अपर मुख्यसचिव संजय कुमार नेक्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों, जिला शिक्षा पदाधिकारियों तथा जिलों में स्थापना, समग्र शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा-साक्षरता एवं मध्याह्न भोजन के प्रभार वाले जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को भी कहा है कि विद्यालय अवधि के बाद चोरी-छुपे नशापान करने वाले विद्यालय परिसर का कतई उपयोग न करें।
आपको बता दूं कि राज्य में 43 हजार प्राथमिक विद्यालय, 29 हजार मध्य विद्यालय एवं आठ हजार उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं। इनमें कार्यरत शिक्षकों की संख्या तकरीबन पौने चार लाख है। प्रत्येक प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के लिए शिक्षा समिति है। इसके साथ 28 हजार शिक्षा सेवक हैं।