पटना, शराब से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कितनी चिढ़ है, यह तो बिहार के शराबबंदी कानून व समय-समय पर आने वाले उनके बयानों से स्वत: ही स्पष्ट है। इधर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के कारण शराबबंदी कानून में संशोधन करना पड़ा, लेकिन संशोधन पर चर्चा के दौरान नीतीश कुमार के भीतर के गांधी जग गए। उन्होंने विधान परिषद में स्पष्ट रूप से कहा कि जो बापू के विचारों को नहीं मानते उन्हें मैं हिंदुस्तानी नहीं मानता, भारतीय नहीं मानता। शराब पीने वाले महापापी हैं, महाअयोग्य हैं।
हालांकि कुछ देर बाद इन्हीं महापापियों व महाअयोग्यों को पहली बार पीने पर जुर्माने के दायरे में रख दिया गया। अब इस राज्य में पहली बार पीते पकड़े जाने वालों को जेल नहीं जाना पड़ेगा, अगर वे दो हजार से पांच हजार रुपये तक जुर्माना भरने की हैसियत रखते हैं तो। अगर जुर्माने की रकम चुकाने में सक्षम नहीं हैं तो बस एक महीने की जेल और इसके बाद फिर बाहर। इस कानून के पास होने के बाद महीनों से जेल में बंद लोगों की किस्मत भी खुल गई है। उन्हें बाहर किया जा रहा है, साथ ही उनके केस भी खत्म किए जा रहे हैं।