पटना

बेगूसराय: कम संसाधन में भी सरकारी विद्यालय को बनाया बेहतर


बेगूसराय (आससे)। कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता जरा तबीयत से एक पत्थर उछालो तो यारों उक्त पंक्ति बखरी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय अहमदपुर घाघरा पर सटीक बैठती है। भला हो भी क्यों नहीं क्योंकि इस विद्यालय के प्रधान में कुछ कर गुजरने की तमन्ना है। यही वजह है कि वहां के सभी छात्र छात्राएं शिक्षक को भगवान के रूप में दर्जा दिए हुए हैं ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि वहां के छात्र-छात्राओं का कहना है।

बताते चलें कि जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत परवीन बखरी प्रखंड का औचक निरीक्षण करने के लिए निकले थे। अचानक उनकी नजर उत्क्रमित मध्य विद्यालय अहमदपुर घाघरा पर पड़ी जहां पर लिखा हुआ था कि यह विद्यालय सीसीटीवी कैमरे की देखरेख में है। यह देख उनकी लालसा और भी जाग उठे और उक्त विद्यालय का जाँच करने पहुंच गए। जब उस विद्यालय का जाँच उन्होंने किया तो पाया कि वाकई में इस विद्यालय में बेहतर रंग रोगन सुसज्जित कक्षाएं, कंप्यूटर, प्रिंटर, पुस्तकालय, बच्चों को आसानी से समझने के लिये वर्ग कक्षा में दिवारों पर तस्वीर बने हुए है। जबकि इस विद्यालय में 370 विद्यार्थी नामांकित है और 6 शिक्षक कार्यरत हैं सभी शिक्षक नियोजित हैं।

सभी शिक्षक राष्ट्रीय प्रतिभा खोज प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी भी करवाते है, जिसका लाभ छात्रों को मिलता भी है। सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इस विद्यालय में ज्यादातर अतिपिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते है। अब सवाल यह उठता है कि इस तरह की व्यवस्था से क्या अन्य सरकारी विद्यालय के प्रधान कुछ सीख लेंगे या फिर अपनी मोटी कमाई के चक्कर में विद्यालय को विकास से महरूम रखेंगे। आखिरकार यह विद्यालय कैसे विकास कर रहा है। जबकि समाजिक स्तर पर इस विद्यालय को मदद भी नहीं मिला है इसके बावजूद भी विद्यालय छात्र-छात्राओं के हित में बेहतर कार्य कर रही है।

तो वहीं विद्यालय के प्रधान दिलीप कुमार का कहना है कि मुझे किसी भी तरह की सहयोग नहीं मिला है लेकिन जो भी सरकार के द्वारा राशि उपलब्ध कराई गई है उन सभी राशि का खर्च इस विद्यालय के हित में किया हूँ। यही वजह है कि इस विद्यालय में साफ-सफाई और सभी वर्ग में चित्रकारी कर बच्चों को बेहतर ज्ञान मिले। इसकी प्रयास मैंने किया है। इसमें विद्यालय के सभी शिक्षकों का भरपूर सहयोग मिला है।

इस तरह की व्यवस्था से जिला शिक्षा पदाधिकारी काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा कि इस विद्यालय की व्यवस्था को देखकर मैं काफी प्रसन्न हूँ। कम संसाधन में भी विद्यालय को बेहतर बनाया जा सकता है इससे अन्य विद्यालय को भी सीख लेने की आवश्यकता है जिले में ऐसे पांच विद्यालय और भी हैं जो निजी विद्यालय से बेहतर व्यवस्था दे रहे हैं।