बेगूसराय शि.प्र (आससे)। बच्चे कोई शैतानी करते हैं तो अभिभावक कहते हैं ज्यादा नाटक नहीं करो। बड़े होने पर अगर कोई काम नहीं करते हैं या टालमटोल करते हैं तो लोग कहते हैं नाटक कर रहा है। और बात जब सरकार के कार्यप्रणाली की हो तो कहना ही कुछ नहीं। बेगूसराय प्रखंड कार्यालय के ठीक सामने प्रेक्षागृह सह आर्ट गैलरी का निर्माण हो रहा है, लेकिन सरकार के मंत्री इसमें भी नाटक-नाटक खेल रहे हैं।
अच्छी बात यह है कि इसके बन जाने से स्थानीय कलाकारों को अभ्यास करने के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ेगा। अभी कलाकारों को अभ्यास करने के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है। इस भवन का ग्राउंड फ्लोर 20265 स्क्वायर फीट है जबकि प्रथम तल 6524 स्क्वायर फीट है। इसमें लोगों के बैठने की क्षमता 601 है। इसमें दो वीआइपी लाउंज के साथ अलग से प्रेस गैलरी भी है। कैफेटेरिया के साथ-साथ दो ग्रीन रूम बनाए जाएंगे।
शिलान्यास और निर्माण शुरू होने की तिथि में अंतर
कार्यस्थल पर लगा बोर्ड बतलाता है कि निर्माण कार्य 19 फरवरी 2021 को शुरू हुआ जबकि वहीं रखा शिलान्यास पट्ट बताता है कि भवन का शिलान्यास 21 जून 2021 को किया गया। चार महीने का अंतर यहीं दिख रहा है। फिर एक साल में इतने बड़े भवन का निर्माण कैसे पूरा होगा?
योजना 2017-2018 की है
प्रेक्षागृह को लेकर विधान पार्षद सर्वेश सिंह ने विधान परिषद में सवाल उठाया तो विभाग के मंत्री ने पंचवर्षीय प्रगति प्रतिवेदन का हवाला देते हुए बताया कि इसका निर्माण अगले साल फरवरी में पूरा हो जाएगा।
निर्माण राशि में 3 करोड़ की वृद्धि
भवन का निर्माण साढ़े दस करोड़ से होना था, लेकिन मंत्री जी के जवाब के अनुसार इसका निर्माण साढ़े 13 करोड़ से होना है। निर्माण राशि कब, कैसे और किस आधार पर बढ़ी इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
धीमी गति से चल रहा निर्माण
भवन का निर्माण धीमी गति से हो रहा है। कार्यस्थल पर मौजूद जेई के अनुसार, भवन बनने में एक साल लग जाएगा। उन्होंने बताया कि कोरोना काल के कारण काम बाधित हुआ वहीं बालू की अनुपलब्धता भी परेशानी का कारण बनी। साथ ही बारिश ने भी काम में खलल डाला।
बहुत जरूरी था प्रेक्षागृह
आशीर्वाद रंगमंडल के अमित रौशन का कहना है कि इस तरह के प्रेक्षागृह का होना बहुत जरूरी था। इसके लिए मुख्यमंत्री धन्यवाद के पात्र हैं जो भवन का निर्माण कराया जा रहा है। इसका आगामी सकारात्मक असर दिखेगा, लेकिन स्थल चयन जिला मुख्यालय से बाहर किया गया है जो नहीं होना चाहिए था। डाक-बंगला खाली है वहां इसे बनाया जाना चाहिए था।