पटना

बेगूसराय: स्पॉट एडमिशन बना कमाई का जरिया


बेगूसराय (आससे)। जिले में स्नातक पार्ट वन में नामांकन के नाम पर चल रहा गोरखधंधा। जहां एक ओर विश्वविद्यालय प्रशासन चल रही है डाल-डाल तो बिचौलिए पात-पात के रास्ते अपना रहे हैं। बताते चलें कि इंटर हो या स्नातक में नामांकन को लेकर ऑनलाइन आवेदन किए जाने का प्रावधान है। जिसके तहत स्नातक पार्ट वन में नामांकन के लिए छात्र-छात्राएं ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरते हैं और जिस महाविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई होती है उस महाविद्यालय का नाम अपने आवेदन में अंकित करते हैं। इसके बाद नामांकन को लेकर प्रथम मेधा सूची और द्वितीय मेधा सूची प्रकाशित की जाती है। जिन छात्र-छात्राओं का मेधा सूची में नाम आता है वे चयनित महाविद्यालय में जाकर नामांकन करवाते हैं यहां तक तो नामांकन की प्रक्रिया ठीक-ठाक चलती है।

वास्तविक खेल स्पॉट एडमिशन में शुरू हो जाती है। जिले के कुछ छात्र संगठन के नेता के हाथ मानो कमाने का त्योहार आ गया हो और अपनी दुकान सजा लेते हैं। यही नहीं कुछ ऐसे बिचौलिए हैं जो महाविद्यालय के कर्मचारी से सांठगांठ कर स्पॉट ऐडमिशन के नामांकन के गोरखधंधे में शामिल हो जाते हैं। विज्ञान संकाय के लिए बिचौलिए ₹5000 से लेकर ₹15000 तक की राशि तय करते हैं। वही कला संकाय के लिए ₹5000 से ₹10000 तक की राशि की उगाही करते हैं। वही जो गरीब छात्र-छात्राएं हैं वे नामांकन से वंचित हो जाते हैं।

वही किस विषय में कितनी सीट बची है और किस सीट पर कितनी राशि की लेनदेन करनी है। यह तय है गुपचुप हो जाता है ना तो इस मामले को लेकर कोई छात्र संगठन के नेता विरोध दर्ज करने के लिए सामने आते हैं और ना ही चिन्हित बिचौलियों के खिलाफ आवाज उठाते हैं। सूत्रों की माने तो छात्र संगठन के नेता कोई आंदोलन इस मामले को लेकर नहीं करते हैं। जब उनके द्वारा दी गई छात्रों की सूची के बच्चों का नामांकन जब नहीं होता तो कुछ आंदोलन तेज कर देते हैं। वही कॉलेज प्रशासन भी चुप्पी साध लेती है। मानो उन्हें इससे कोई लेना-देना नहीं हो। जबकि कॉलेज प्रशासन की नाक के नीचे यह गोरखधंधा चलता रहता है इसके बावजूद कार्रवाई नहीं करना कई तरह के सवाल को खड़े करते हैं।

वहीं छात्र संगठनों की चुप्पी पर भी कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। वहीं सूत्रों की माने तो छात्र संगठन की मिलीभगत से ही बिचौलिए नामांकन के गोरखधंधा में शामिल हैं। मिली जानकारी के अनुसार नामांकन के नाम पर तो राशि ले लेते हैं लेकिन छात्रों के द्वारा चयनित विषय में नामांकन नहीं करवा कर खाली बचे विषयों में नामांकन करवा देते हैं। आखिरकार स्पॉट एडमिशन के नाम पर यह गोरखधंधा कब तक चलता रहेगा। क्या कॉलेज प्रशासन इस पर कार्रवाई करेगी या फिर इस तरह के कारोबार को बढ़ावा देती रहेगी।