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बैंक खाता हेराफेरी मामला: धोखे से खुलवाए खातों में खपाया ठगी का पैसा,शुरू की जांच


कानपुर: धोखे से खुलवाए गए बैंक खातों में हेराफेरी के मामले की काकादेव पुलिस के साथ क्राइम ब्रांच ने भी जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में पुलिस को कई खाते फ्रीज मिले हैं। आमतौर पर ऐसा आनलाइन ठगी के मामलों में होता है। ठगी की जानकारी मिलते ही बैंक द्वारा खाता फ्रीज कर दिया जाता है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि आनलाइन ठगी गिरोह की यह करतूत हो सकती है। मुख्य आरोपित हर्ष कटियार और उसके करीबी फरार हैं। बुधवार को दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद क्राइम ब्रांच ने पीड़ितों को काकादेव थाने बुलाकर लंबी पूछताछ की।

यह है पूरा मामला

शास्त्रीनगर निवासी 22 वर्षीय हर्ष कटियार पुत्र दीपक कटियार इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड है। आरोप के अनुसार, उसने अपने दोस्तों को बताया कि उसकी बैंक में नौकरी लग गई है। उसे बैंक की ओर से 150 नए खाते खुलवाने का लक्ष्य मिला है। इसके लिए उसने अपने दोस्तों और मोहल्ले के कम उम्र के युवकों से मदद मांगी। बहकावे में आकर उसके दोस्तों ने हामी भर दी और इन सभी के नाम से कई बैंकों में खाते खुल गए।

यह मामला प्रकाश में तब आया, जब खाताधारक मोहम्मद कायम के पिता के पास बैंक से एक महीने में आठ लाख रुपये के लेनदेन की खबर पहुंची। इसके बाद, मोहल्ले में ही ऐसे करीब 13 और लोग सामने आए, जिनके 33 खाते विभिन्न बैंकों में खोले गए हैं। अनुमान है कि हर्ष ने करीब 150 बैंक खाते दोस्तों व परिचितों को धोखे में रखकर खुलवाए। इनमें से करीब तीन से पांच करोड़ का लेनदेन हाल के दो तीन महीनों में हुआ है। दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होते ही पुलिस आयुक्त ने क्राइम ब्रांच को सक्रिय किया।

मुख्य आरोपी फरार

अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक मुख्य आरोपित हर्ष साथियों के साथ फरार है। बुधवार को पुलिस ने घरों में दबिश डाली, मगर वे नहीं मिले। हालांकि इंस्टाग्राम पर हर्ष ने स्टेटस लगाया है, जिसमें उसने खुद को जोधपुर में होना बताया है। बताया जा रहा है कि पीड़ितों द्वारा पुलिस अधिकारियों के पास जाने की सूचना मिलते ही हर्ष ने शहर छोड़ दिया था।

बैंक नहीं दे रहे लेनदेन की जानकारी

उक्त प्रकरण में केनरा बैंक, एक्सिस बैंक और आइडीएसफसी बैंक में सर्वाधिक खाते खोले गए। पीड़ितों के मुताबिक जानकारी के बाद वह पिछले एक सप्ताह से अपने बैंक अकाउंट से लेनदेन की जानकारी लेने के लिए चक्कर काट रहे हैं लेकिन जानकारी नहीं दी जा रही। उनसे कहा जा रहा है कि पहले एफआइआर कराएं, इसके बाद ही कोई जानकारी मिलेगी। जबकि नियमानुसार खाता धारक होने की वजह से खाते में लेनदेन की जानकारी लेने का अधिकार उन्हें है।

खातों में चालू है लेनदेन

वहीं पीड़ितों का कहना है कि इस प्रकरण में अब तक न पुलिस सुन रही थी और न बैंक। सभी खातों के एटीएम कार्ड आरोपित के पास हैं। लगातार उनके खातों में पैसा आ रहा है और निकाला जा रहा है। पीड़ितों के मुताबिक उन्हें शक है कि इस पूरे खेल में बैंक से जुड़ा भी कोई व्यक्ति शामिल है, जिसने खाता खुलवाने में मदद की।

प्रति खाता एक हजार रुपये का दिया था लालच

पूछताछ के दौरान ऐसे भी कुछ मामले प्रकाश में आए हैं, जिसमें पीड़ितों ने बताया कि वह खाता खोलने को तैयार नहीं थे। ऐसे में हर्ष ने उन्हें लालच दिया कि प्रति खाता उन्हें एक हजार रुपये सरकार की ओर से मिलेंगे। खाता खुलते ही वह उन्हें नकद पैसा देगा। इसीलिए एक-एक व्यक्ति ने पैसों के लालच में चार-चार खाते खुलवा लिए।

पूर्व इंस्पेक्टर पर भी कसेगा जांच का शिकंजा

जांच में सामने आया है कि काकादेव के पूर्व इंस्पेक्टर मनोज कुमार वर्मा के कार्यकाल में आरोपित हर्ष को पकड़कर छोड़ दिया गया था। एक पार्षद की पैरवी पर मोटी रकम लेकर उसे रिहा किया गया। वहीं शास्त्रीनगर के पूर्व चौकी प्रभारी पर भी आरोपित की बहन से तहरीर लेकर पीड़ितों को ही धमकाने का आरोप लगा था। पुलिस आयुक्त बीपी जोगदण्ड ने बताया कि दोनों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि क्राइम ब्रांच को जांच के लिए लगाया गया है। उनकी रिपोर्ट आते ही मामले में एफआइआर दर्ज कराकर आरोपितों को गिरफ्तार किया जाएगा। प्रकरण में जिन पुलिसकर्मियों ने लापरवाही या जानबूझकर गड़बड़ी की है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।