Post Views: 563 भारत जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्रमें लोकतांत्रिक मूल्योंकी मजबूती उसके संविधानपर टिकी हुई है। संविधानमें निहित प्रावधान कई कारकोंको ध्यानमें रखकर बनाये जाते हैं, ताकि उनके अनुपालनके जरिये एक समावेशी और लोकतांत्रिक व्यवस्थाका मजबूतीसे निर्माण किया जा सके। शिक्षा, एक ऐसा ही कारक है, जिसपर समुचित ध्यान दिये बिना न्यायके साथ विकासकी अवधारणा पूरी […]
Post Views: 437 डा. सुशील कुमार सिंह जुलाई २०१९ में राज्यसभामें एक प्रश्नके जवाबमें जब स्वराष्टï्र मंत्रालयने कहा कि देशद्रोहके अपराधसे निबटनेवाले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानको खत्म करनेका कोई प्रस्ताव नहीं है तब इसके खात्मेंकी बाट जोहनेवालोंको नाउम्मीदी मिली थी। सरकारने यह भी कहा कि राष्टï्रविरोधी तथ्योंका प्रभावी ढंगसे मुकाबला करनेके लिए प्रावधानको […]
Post Views: 891 डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री सरकारी मंडियोंमें सरकारसे लाइसेंस लेकर कुछ लोगोंने अपनी दुकानें भी खोल रखी हैं। बोलचालकी भाषामें इन दुकानदारोंको आढ़तिया कहा जाता है। किसान वक्त-बेवक्त इन आढ़तियोंसे पैसा उधार भी लेता रहता है। परन्तु आढ़तियोंको अपना पैसा मारे जानेका कोई खतरा नहीं होता क्योंकि उसे पता है कि किसान अपनी […]