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भारतके माथे पर स्वर्ण तिलक


टोक्यो ओलम्पिक

नीरजने जैवलिन थ्रो में जीता स्वर्ण, बजरंग ले आये कांस्य,

मामूली अंतर से पदक से चूकी अदिति,

भारतने लंदन के छह पदक को पीछे छोड़, टोक्यो में जीता सात पदक

टोक्यो  (एजेन्सियां) । आखिरकार भारत को वो मिल ही गया जिसके इंतजार में पूरा देश टोक्यो ओलम्पिक में २३ जुलाई से नजरें गड़ाये अपने खिलाडिय़ों के प्रदर्शन को देख रहा था। देशवासियों की अथाह उम्मीदों का बोझ अपने कंधे पर लादे नीरज चोपड़ा ने ऐसा भाला फेंका कि उनके सामने सब चित हो गये। नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक अपने नाम करते हुए इतिहास रच दिया। उन्होंने ८७.५८ मीटर का थ्रो फेंकते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया और इसी के साथ वह भारत को अथलेटिक्स में पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले खिलाड़ी बन गये हैं। इसी के साथ २००८ के बाद देश को दूसरा ओलम्पिक स्वर्ण पदक मिला। २००८ में शूटिंग में अभिनव बिन्द्रा ने पहला व्यकितगत स्वर्ण पदक जीता था। उधर बजरंग पूनिया ने स्वर्ण न जीत पाने के गम को दूर करते हुए फ्री स्टाइल ६५ किलो वर्ग कुश्ती स्पर्धा का कांस्य पदक जीत लिया। उन्होंने कजाखस्तान के डाउलेट नियाजबेकोव को एकतरफा मुकाबले में ८-० से हराया। अदिति अशोक गोल्फ स्पर्धा में पदक से मामूली अंतर से चूक गयी। खराब मौसम से प्रभावित चौथे दौर में तीन अंडर ६८ का स्कोर कर अदिति चौथे स्थान पर रहीं। अदिति का कुल स्कोर १५ अंडर २६९ रहा और वह दो स्ट्रोक्स से चूक गयीं। नीरज और बजरंग के पदक जीतने के साथ भारत ने टोक्यों ओलम्पिक में एक स्वर्ण, दो रजत और चार कस्य के साथ सात पदक जीत कर लंदन ओलम्पिक के जीते गये छह पदकों के प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया।