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भारतीय नौसेना ने ‘ऑक्सीजन प्लांट ऑन व्हील्स’ का किया निर्माण, ऐसे करेगा मदद


  • फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल एबी सिंह ने ‘ऑक्सीजन प्लांट ऑन व्हील्स’ कहे जाने वाले मोबाइल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट का उद्घाटन किया है. इसे पूर्वी नौसेना कमान (ईएनसी) के तहत नौसेना डॉकयार्ड विशाखापत्तनम द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है. नेवल डॉकयार्ड तकनीकी टीम ने 100 लीटर प्रति मिनट क्षमता वाले दो ऑक्सीजन जेनरेटर प्लांट विकसित किए हैं, जिन्हें किसी भी अस्पताल की पाइपलाइन प्रणाली को सीधे फीड प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया था.

ट्रेलरों पर लगे ऑक्सीजन प्लांट को आसानी से दूरदराज के अस्पतालों में ले जाया जा सकता है और अस्पताल के निश्चित ऑक्सीजन पाइपिंग सिस्टम से जोड़ा जा सकता है. अस्पतालों में कम ऑक्सीजन दबाव की घटनाओं को रोकने के लिए ये ऑक्सीजन सिस्टम एक बैकअप के रूप में भी काम कर सकता है.

देश में कोरोना संकट के बीच कई राज्य अभी भी ऑक्सीजन की किल्लत झेल रहे हैं. पिछले दिनों कोरोना की दूसरी लहर में महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ऑक्सीजन की कमी से कई मरीजों को जान गंवानी पड़ी. अब आने वाली कोरोना की तीसरी लहर का ध्यान रखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर होने का फैसला लिया है. राज्य जल्दी ही प्रतिदिन 3000 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू करेगा. इसके लिए उद्यमियों को विशेष प्रोत्साहन योजना का लाभ दिया जाएगा.

प्रतिदिन 3000 मेट्रिक टन ऑक्सीजन उत्पादन का लक्ष्य

बढ़ते कोरोना संकट की वजह से राज्य में बड़े पैमाने पर ऑक्सीजन (Liquid Medical Oxygen- LMO) का संकट कायम है. फिलहाल प्रतिदिन 1800 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग है लेकिन राज्य में ऑक्सीजन निर्माण की क्षमता 1300 मेट्रिक टन है. तीसरी लहर आने के बाद विशेषज्ञों की राय में 2300 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ेगी. ऐसे में राज्य सरकार ने ‘मिशन ऑक्सीजन स्वावलंबन’ के तहत 3000 मेट्रिक टन प्रतिदिन ऑक्सीजन उत्पादन का लक्ष्य रखा है.