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भारत की कोविशील्ड को अब तक 46 देशों ने दी मान्यता


  • दुनियाभर में कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अब तक सात वैक्सीन को मंजूरी दी है. इनमें मॉडर्ना, फाइजर-बायोएनटेक, जॉनसन एंड जॉनसन, ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका, भारत की कोविशील्ड, चीन की सिनोफार्म और सिनोवैक वैक्सीन शामिल हैं (WHO Approved Vaccines). महामारी को काबू में करने के लिए भारत में अब तक वैक्सीन की 100 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं. यहां वैसे तो कई वैक्सीन को मंजूरी दी गई है लेकिन दो वैक्सीन देश में ही तैयार हुई हैं. जिनके नाम कोविशील्ड और कोवैक्सीन है.

इनमें से एक कोविशील्ड को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में बनाया गया है. इस वैक्सीन को विकसित करने का काम ब्रिटिश-स्विडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने किया है (WHO on Covid Vaccines). वहीं कोवैक्सीन पूरी तरह स्वदेशी है और इसे भारत बायोटेक कंपनी ने विकसित किया है. भारत की इसी वैक्सीन को अभी तक डब्ल्यूएचओ से मंजूरी नहीं मिली है. इस मसले पर संगठन 26 अक्टूबर को एक अहम बैठक करने जा रहा है (Status of Covaxin). इस दिन कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी मिल सकती है.

डब्ल्यूएचओ ने कोवैक्सीन पर क्या कहा?

इस बात की जानकारी देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन (Soumya Swaminathan) ने बताया कि डब्ल्यूएचओ का तकनीकी सलाहकार समूह बैठक में कोवैक्सीन के लिए ईयूएल (आपातकालीन उपयोग सूची) पर विचार करेगा. कोवैक्सीन को मान्यता मिलना इसलिए भी बहुत जरूरी है क्योंकि इसे लगवाने वाले लोगों को विदेश जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है (WHO on Covaxin). देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यही वैक्सीन लगवाई है. हालांकि कुछ देशों ने इसे मान्यता दे दी है, जिनमें नेपाल, पराग्वे, फिलीपींस, जिम्बाब्वे, मॉरिश, ईरान और गुयाना शामिल हैं.