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भारी बारिश और भूस्खलन ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में ली 24 लोगों की जान, 28 लापता


नई दिल्ली : उत्तर भारत के पहाड़ों में शुक्रवार से लगातार हो रही वर्षा ने विकराल रूप ले लिया है। इसके चलते हिमाचल प्रदेश में शनिवार को 20 लोगों की मौत हो गई है और 16 अभी लापता हैं। एक ही दिन में करीब 400 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान है। इसका आकलन किया जा रहा है। दूसरी ओर उत्तराखंड में भी बादल फटने और भूस्खलन के चलते चार लोगों की मौत हुई है। जबकि 12 अब भी लापता हैं। लापता लोगों को ढूंढने के लिए राहत अभियान शुरू किया गया है।

मणिमहेश यात्रा रोकी, एडवाइजरी जारी

भारी वर्षा के कारण हिमाचल में जिला प्रशासन चंबा ने उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा पर दो दिन रोक लगाई है। यह यात्रा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से लेकर राधाष्टमी तक चलती है। प्रशासन ने 21 व 22 अगस्त को यात्रा पर रोक लगाई है। हिमाचल प्रदेश आने वाले पर्यटकों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। उन्हें नदियों और खड्डों के किनारे न जाने की सलाह दी है। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में न जाने की अपील की है।

अभी नहीं मिलेगी राहत

मौसम विभाग ने तीन दिन भारी वर्षा की संभावना जताई है। चंबा, मंडी, कुल्लू, कांगड़ा, सिरमौर और शिमला जिला में भारी वर्षा हो सकती है। प्रदेश में बीती रात से 32 जगहों पर सैलाब आने से तबाही मची है। राहत व बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की मदद ली जा रही है।

उत्तराखंड के तीन जिलों में फटा बादल

उत्तराखंड के तीन जिलों पौड़ी, टिहरी और देहरादून में शुक्रवार रात से शनिवार दोपहर तक होने वाली वर्षा जानलेवा साबित हुई। तीनों जिलों में अलग-अलग क्षेत्रों में बादल फटने से नदी और बरसाती नालों के उफान और मलबे की चपेट में आकर दंपती समेत चार लोगों की मौत हो गई। जबकि 12 लोग लापता हैं और 10 घायल हुए हैं। देहरादून में एक मोटर पुल टूट गया है और प्रभावित जिलों में 50 से अधिक आवासीय भवन क्षतिग्रस्त हो गए। बड़े पैमाने पर कृषि भूमि का कटाव हो गया। विभिन्न स्थानों पर दोपहिया, चौपहिया वाहन और मवेशी मलबे में दब गए। इनमें कुछ नालों के उफान में बह गए। इधर, चारधाम यात्रा मार्गों पर परेशानी बढ़ गई। हाईवे अवरुद्ध होने से यात्री जहां-तहां घंटों फंसे रहे। ग्रामीण अंचलों में संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त होने से कई इलाके अलग-थलग पड़ गए।

पंजाब में भारी बारिश ने किया जीना मुहाल

हिमाचल प्रदेश में हुई भारी वर्षा के कारण शनिवार को पंजाब को भी नुकसान झेलना पड़ा। यहां पठानकोट में जोगिदर नगर नैरोगेज रेल मार्ग पर अंग्रेजों द्वारा चक्की खड्ड पर 1929 में बनाया गया नैरोगेज रेलवे लाइन पुल बह गया। रेलवे के अनुसार, पुल के आसपास बड़े स्तर पर हुआ अवैध खनन इसके लिए जिम्मेदार है। हालांकि रेलवे ने करीब दो महीने पहले इस ट्रैक पर चलने वाली सभी 14 गाड़ियों का आवागमन अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया था। अब पुल के बह जाने से करीब एक वर्ष तक नैरोगेज रेल सेवा का बहाल हो पाना मुश्किल है। अगर पूरा पुल बनाना प़़डा तो इसमें तीन से चार वषर्ष का समय लगना तय है।