मऊ

मऊ:मौत का तांडव देख चिकित्सक ड्यूटी छोङ भागे… चीफ फार्मासिस्ट पीएन सिंह ने साक्षात नाच रही मौत से मिलायी आंखें, सदर अस्पताल में नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला,प्रशासन लाचार


(ऋषिकेश पाण्डेय)
मऊ।कोरोना संक्रमण की रोकथाम और पीङितों के समुचित इलाज की व्यवस्था जिला चिकित्सालय मऊ में चरमराकर रह गयी है। चिकित्सकीय लापरवाही के लिए एक तरफ जहाँ बदनाम सदर अस्पताल में पीङित जाने से डरने लगे हैं।वहीं खुद डाक्टर भी रात में ड्यूटी करने से भाग खङे हो रहे हैं।चिकित्सकों के न जाने से जब भर्ती मरीजों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ तो जिलाधिकारी अमित सिंह बंसल ने रात में एक साथ दो चिकित्सकों की व्यवस्था कराया।इसके बावजूद डाक्टर राकेश गुप्ता और डाक्टर सीएस साहनी की जोङी भी अस्पताल पहुंचने की हिम्मत नहीं जुटा सकी और बीती रात फिर पहले से भर्ती दो और मरीज़ों ने तङप-तङपकर दम तोड़ दिया और मौत का नग्न तांडव देखने के आदी हो चुके चीफ फार्मासिस्ट पी एन सिंह वार्ड ब्वाय को लेकर साक्षात मौत से आंखें मिलाते हुए अपने अधिकारियों की लापरवाही का तमाशा देखते रहे।क्योंकि उनकी शिकायतें रद्दी की टोकरी में फेंक दी जा रहीं हैं।लावारिश शवों का बेङा पार लगाने वाले देवाश्रम के प्रबंध निदेशक पीएन सिंह के ही बस की बात है कि जिस दौर में कदम -कदम पर मौत नाचती फिर रहीं है।सरकार से मोटी रकम लेने वाले चिकित्सक दरिया में फंसी नाव के मल्लाह की तरह भूमिका निभाने के बजाय नाव छोड़कर भाग जाने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।ऐसी स्थिति में पीएन सिंह जैसे हिम्मतवाली शख्सियत की उपयोगिता बढ़ जाती है।बहरहाल,जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों ने ड्यूटी करना छोड़ दिया है।मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर बृज कुमार का आदेश चिकित्सकों के ठेंगे पर है।ऐसी स्थिति में बीमार मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर बृज कुमार खुद छोटा कर्मचारियों को साहस देने के लिए बीमार अवस्था में ही कुछ समय के लिए आवश्यकतानुसार इमरजेन्सी में आकर बैठ जा रहे हैं।लेकिन,रात में पहुंचने वाले पीङितों को डाक्टर नहीं हैं कहकर फिलहाल टरकाया जा रहा है।जो एकदम विवश हैं,प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने की औकात नहीं है।वे या तो जिला अस्पताल की चौखट पर पहुंचकर दम तोड़ दे रहे हैं या फिर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मारपीट कर रहे हैं।जिससे सदर अस्पताल में भय का माहौल बना हुआ है।उधर दोहरीघाट स्थित मुक्तिधाम पर शवों की रफ्तार में कुछ कमी आयी है।9मई को जहाँ 96 शव जलाये गये,वहीं दस मई को 85 और ग्यारह मई को 86शव जलाये गये।12मई को दोपहर तक ही शवों की लम्बी कतार लग गयी थी।जिससे शाम तक शवों के पहुंचने का आंकड़ा सौ से पार पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा था।मुक्तिधाम पर शवों का रजिस्ट्रेशन करने वाले कल्पनाथ ने बताया कि अफवाहों के चलते लोग शवों को खेतों और देवरांचल में दफनाने का काम शुरू कर दिये हैं।जिससे घाट पर शवों के आने की रफ्तार में चार दिनों से गिरावट दर्ज की गयी है।यद्यपि कि न घाट पर शवों को जलाने के लिए जगहों की कमी है और ना ही लकड़ियों की।अभी पंद्रह दिनों तक आसानी से शव जलाने भर के लिए लकड़ी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।जगह कम पङने पर घाट के पास खेतों में शव जलाये जा रहे हैं।लेकिन,शव जलाने में कोई विलम्ब नहीं किया जा रहा है।