नेशनल डेस्क: मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि ‘तमिल थाई वाज्थु’ राष्ट्रगान नहीं, बल्कि केवल एक प्रार्थना गीत है और इसलिए, इस स्तुति को सुनते समय हरेक व्यक्ति को खड़ा रहने की आवश्यकता नहीं है। जस्टिस जी आर स्वामीनाथन की एकल पीठ ने 2018 में रामनाथपुरम जिले में रामेश्वरम पुलिस द्वारा ‘नाम तमिलर काची’ (एनटीके) के पदाधिकारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज करते हुए हाल ही में यह फैसला सुनाया। तमिलनाडु के तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने 24 जनवरी, 2018 को कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य श्री विजयेंद्र सरस्वती की उपस्थिति में संगीत अकादमी, चेन्नई में आयोजित एक समारोह के दौरान तमिल-संस्कृत शब्दकोश का विमोचन किया था। उस समय ‘तमिल थाई वाज्थु’ बजाया गया, लेकिन उस समय शंकराचार्य बैठे रहे, जिसे लेकर लोगों ने काफी अप्रसन्नता व्यक्त की थी और इसके बाद एक बहस छिड़ गई थी।
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