शिव-शक्ति के मिलन का प्रतीक है शिवरात्रि
पटना (आससे)। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनायी जाती है। फाल्गुन में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि मनायी जाती है। इस बार महाशिवरात्रि का व्रत 11 मार्च को किया जायेगा।
यह दिन शिव और शक्ति के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत शुभ माना गया है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु पूजा-आराधना की जाती है। शिवरात्रि पर रात्रि जागरण कर भगवान शिव की पूजा चारों प्रहर करने का विधान है।
महाशिवरात्रि का महत्व
इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। ऐसी मान्यता है कि शिव-शक्ति के मिलन के इस पावन पर्व पर व्रत और पूजन करने से वैवाहिक जीवन की सभी समस्याओं का निराकरण होता है। इसके लिए पति-पत्नी दोनों को व्रत करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि का व्रत रखने से मनचाहे वर की भी प्राप्ति होती है। यदि किसी कन्या के विवाह में कोई बाधा आ रही हो, तो महाशिवरात्रि का व्रत बेहद शुभफलदायी माना जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य के पापों का क्षरण होता है।महाशिवरात्रि पर पूरी निष्ठा के साथ व्रत करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
ऐसे करें पूजा-
प्रात: स्नानादि कर भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प करें। यदि मंदिर जा सकतें हैं तो भगवान शिव का जल या दूध से अभिषेक करें। भगवान शिव का चंदन से तिलक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, आक के फूल, धतूरे के फूल, धतूरा, भांग आदि चढ़ायें। सबसे अंत में पश्चात भगवान शिव की आरती करें। पूजा के बाद शिवपुराण, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।