पटना

मुजफ्फरपुर: दलित-महादलित बस्ती में सत्यप्रभा की किरण से फैली कोरोना पर जागरूकता और पोषण की रोशनी


      • लगभग 150 लोगों का करवा चुकी हैं कोविड टीकाकरण
      • महिलाओं का ग्रुप बना चमकी पर देती हैं जानकारी

मुजफ्फरपुर। सत्यप्रभा  मुशहरी के नरौलीडीह पंचायत  के आंगनबाड़ी केंद्र 216 की सेविका हैं। बच्चों से लगाव और समाज में कुछ करने की चाह ने उन्हें यहां तक तो ला दिया, पर 1243 लोगों के दलित और महादलित बस्तियों में शिक्षा और पोषक की अलख जगाना आसान न था।  वर्ष 2009 से सत्यप्रभा ने  अपना कार्य संभाला तब से वर्तमान तक में उनके पोषण क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन देखने को मिला है।

बच्चेां के होठों पर अक्षर ज्ञान अभिभावकों के चेहरे पर संतोष ला रही है। हर घर तक कोविड टीके का प्रवेश हो चुका है। सत्यप्रभा यहीं नहीं रुकती हैं। वर्तमान कोरोना काल में भी इनका प्रयास जागरुकता के स्तर से लेकर टीकाकरण तक आ चुका है। इनका मानना है कि टीकाकरण और जागरुकता के बल पर ही कोरोना को मात दिया जा सकता है। घर की दहलीज के बाहर खतरे को अनदेखा कर हर मौसम में रोज दूसरों को खतरे से बाहर निकालने कोरोना पर जागरुक करने को निकल रही हैं।

150 लोगों का कराया टीकाकरण

सत्यप्रभा कहती हैं बच्चों को पोषण और शिक्षा देना उनका प्राथमिक कार्य है। अभी जो हालात हैं उसमें हमारी भूमिका अहम हो जाती है। सबसे बड़ी बात है कि हमारी पहुंच घर-घर में है। हम पर लोगों का विश्वास पहले से है।  जिससे कोराना सहित अन्य चीजों पर भी जागरुक करना आसान हो जाता है। बच्चों को टेक होम राशन पहुंचाना, कोरोना पर जागरुक करना हमारे रोज के रुटीन में शामिल है। वह कहती है-  ‘मैं लोगों को मास्क लगाए नहीं देखती हूं तो टोकती भी हूं। मैंने अपने प्रयास से लगभग 150 लोगों का टीकाकरण कराया है। कोरोना काल के कारण चमकी पर महिलाओं का छोटा सा ग्रुप बनाती हूं ताकि उन्हें चमकी और कोरोना पर जागरुक कर सकूं’।

होम आइसोलेट लोगों से लेती हैं हालचाल

सत्यप्रभा कहती हैं अभी उनके पोषण क्षेत्र में जो भी होम आइसोलेटेड मरीज हैं उनका हाल चाल लेती रहती हूं। अगर घर जाकर संभव नहीं हो पाता है तो फोन से ही उनका नंबर ले लेती हैं। आवश्यकता पड़ने पर पीएचसी से संपर्क कर उन्हें उचित चिकित्सकीय सहायता भी पहुंचायी है।

लॉकडाउन में बच्चों के घर करवाती हैं एक्टिवीटी 

सत्यप्रभा कहती हैं कोविड काल में जब आंगनबाड़ी बंद हैं तो बच्चों को अकेला नहीं छोड़ा जा सकता। ऐसे में उन्हें शब्द ज्ञान के साथ कुछ एक्टिवीटी भी कराना जरुरी था। ताकि उनका मानसिक विकास जारी रहे। इसी बहाने वहां पर भी लोगों को कोविड के प्रति वह जागरुक कर देती हैं। जिन बच्चों को मिट्टी के समान बनाने में रुची है उन्हें वह सिखाती हैं। जिन्हें डांस पसंद है उन्हें डांस भी सिखाती हैं। वहीं टेक होम राशन भी उन तक पहुंचाती है ताकि उनको पोषण मिलता रहे।