पटना

मुजफ्फरपुर: मानव श्रृंखला को नकार कर किसानों ने कृषि बिल कानून का समर्थन किया: सुमो


आंदोलन को गुमराह कर रहे वामपंथी संगठन 

मुजफ्फरपुर। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि देश के अधिकांश किसान आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाये गये तीनों कृषि बिलों के पक्ष में हैं। इसका प्रमाण है कि गैर भाजपा शासित राज्य राजस्थान, छत्तीसगढ़, केरल आदि में भी किसान, आंदोलन के समर्थन में खड़े नहीं हैं। यह विरोध सिर्फ और सिर्फ पंजाब में दिख रहा है।

शनिवार को बुलायी गयी प्रेस वार्ता में सांसद श्री मोदी ने कहा कि किसान आंदोलन को देखते हुए सरकार ने यह भी कहा है कि वह डेढ वर्ष तक कृषि कानून को स्थगित करने को तैयार है बावजूद इसके यह आंदोलन अपनी जिद पर कायम है। गुजरे 26 जनवरी को लालकिला पर राष्ट्रीय झंडा का जिस तरह से अपमान किया गया और हिंसा का उग्र रूप सामने आया इससे यह स्पष्ट हो गया है कि या आंदोलन किस नेतृत्व के हाथ है।

उन्होंने कहा कि सही मायने में यह नक्सली, वामपंथ के नेतृत्व में चल रहा आंदोलन है। आज किसानों के हित की बात भाकपा माले जैसी पार्टी कर रही है जिन्होंने वर्षों तक किसानों की जमीन हडपने का काम किया है। जिनके भय से किसान सैकड़ों एकड़ जमीन छोड़कर भागने को विवश थे। श्री मोदी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा बिहार में मंडी व्यवस्था यानी बाजार समिति को स्थापित करने की मांग पर उन्हें हंसी आती है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2007 में बिहार में सत्तासीन राजग सरकार ने मंडी व्यवस्था यानी बाजार समिति कानून को निरस्त करने का काम किया था। तब बिहार देश स्तर पर पहला राज्य था जहां कृषि उत्पादन बाजार समिति के कानून को निरस्त कर दिया गया था। जबकि यहां से प्रतिवर्ष 70 करोड़ का राजस्व राज्य सरकार को मिलता था। उन्होंने कहा कि तब इस व्यवस्था के तहत जंगलराज मचा था कृषकों को अपना अनाज बाजार समिति में लाकर बेचने के लिए टैक्स देना पड़ता था।

जबकि इस कानून को निरस्त करने के बाद किसान अपने अनाज को अपनी सोंच और व्यवस्था के अनुसार बेचने को स्वतंत्र थे। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने महागठबंधन के नेतृत्व में आयोजित मानव श्रृंखला को फ़्लाप करार देते हुए कहा कि वह बिहार के किसानों को धन्यवाद करना चाहते हैं जिन्होंने तथाकथित किसान आंदोलन के वास्तविक चरित्र को ना सिर्फ समझा है बल्कि उसे  नकारने का काम किया है।