सम्पादकीय

मैत्री सम्बन्धोंको प्रमुखता


बंगलादेश अपनी स्वतन्त्रताका पचासवां वर्ष मना रहा है। सन् १९७१ में वैश्विक पटलपर बांगलादेशका उभरना असमान्य घटना थी। पाकिस्तानके संस्थापक मुहम्मद अली जिन्नाने जिस प्रकार शातिर चालें चलकर पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तानका निर्माण कराया उसमें कुछ स्वार्थी नेताओंके हित भले ही सधे हों परन्तु आमजनताकी साधारण चेतना एवं नागरिक स्वतन्त्रताके अंत:करणमें विष घोल दिया था। जो विष १९४७ में भारतीयोंने पीया वह १९७१ आते-आते पूर्वी पाकिस्तानकी जनताके मन-मस्तिष्कमें विस्फोट हो गया और पूर्वी पाकिस्तानकी जनताने इस तथ्यको स्थापित कर दिया कि दोनोंकी संस्कृति एवं विश्वास जिन्नाके उसूलोंपर नहीं चल सकते। अत: पचीस वर्ष बाद ही स्वर्गीय शेख मुजीबर्रहमानके नेतृत्वमें पूर्वी पाकिस्तानके लोगोंने ‘आमार सोनार बांग्लाÓ का उद्घोष करके जिन्नाके आत्मघाती सिद्धांतको दफन कर दिया। पांच दशक पूर्व बंगलादेशने पाकिस्तानसे अलग होकर अपनी स्वतंत्रताका परचम लहराया। इसलिए यह वर्ष उनके हर्ष-उल्लासका स्वर्णिम काल है। पूर्वी पाकिस्तान द्वारा आमजनतापर पाकिस्तानने भयावह अत्याचार एवं क्रूर हिंसाकी स्थितिमें भारतीय सेनाको हस्तक्षेप करना पड़ा। परिणामत: भारतीय सेनाके लेफ्टिेनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ाके सामने बिना शर्त ऐतिहासिक समर्पणके रूपमें सामने आया। वह क्षण भारत एवं बंगलादेशके लिए अत्यन्त गौरवपूर्ण था। परन्तु जब बंगलादेश आजाद हुआ तब वहां अनेक विसंगतियां थी। गरीबी शिखरपर थी। गाहे-बगाहे प्राकृतिक आपदा ‘कोढ़में खाजÓ का काम कर रही थी। परन्तु पिछले कुछ वर्षोंमें बंगलादेशने जिस प्रकार स्वयंको व्यवस्थित करते हुए खड़ा किया, वह अकल्पनीय है। सामाजिक उत्थानके प्रयासने जीवन प्रत्याशाको जिस प्रकार बढ़ाया, वह अकल्पनीय है। आज बंगलादेशके निवासी स्वस्थ एवं दीर्घजीवन जी रहे हैं। कुपोषणकी रफ्तारपर अंकुश लगा है। साथ ही गरीबी कम करनेमें भी उल्लेखनीय सफलता हासिल हुई है। शिक्षाके क्षेत्रमें भी बंगलादेशने उपलब्धियां पायी है। अब वह प्रगतिकी राहपर आगे बढ़ रहा है। वर्तमानमें भारतीय प्रधान मंत्री मोदीने बंगलादेशके राष्टï्रीय यादगार दिवसपर ढाका पहुंचकर दोनों देशोंके अन्तरंग संबंधोंको मजबूती प्रदान की। प्रधान मंत्री मोदीने घोषणा की कि बंगलादेश भारतके लिए विशेष स्थान रखता है। अत: क्षुद्र राजनीति दोनों देशोंके परस्पर संबंधोंपर विपरीत प्रभाव नहीं डाल सकती। वहीं बंगलादेश की प्रधान मंत्री शेख मुजीबुर्रहमानकी सुपुत्री, शेख हसीना वाजिदने साफ कर दिया कि दक्षिण एशियामें भारत महत्वपूर्ण ताकत है। अत: गरीबी उन्मूलनमें भारत अपनी भूमिका निभा रहा है। साथ ही चीनका नाम लिये बिना शेख हसीनाने साफ संकेत दिया कि भारतके अलावा किसीको भी शक्ति सम्पन्न होना बंगलादेश स्वीकार नहीं करेगा। भारतके लिए भी सामरिक दृष्टिïसे बंगलादेश अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अत: दोनों देशोंके बीच मजबूती प्रदान करनेके लिए भारतीय प्रधान मंत्रीकी बंगलादेश यात्रा महत्वपूर्ण रही।

कोरोनाकी वापसी

नये उफानके साथ कोरोना महामारीकी दूसरी लहरने चिन्ता बढ़ा दिया है। एक रिपोर्टके अनुसार यह लहर आगे भी जारी रह सकती है। कहा जाता है कि वायरस हमेशा ही रूप बदलकर अधिकसे अधिक लोगोंको संक्रमित करनेके लिए मल्टीप्लाई होता है। कई ऐसे केस भी आये हैं जिसमें म्यूटेशन देखनेको मिला। इस बदले रूपमें अन्य वायरसको वैरियंट कहा गया है। देशमें जिस प्रकार कोरोनाके एक्टिव केस बढ़ रहे हैं उसमें जाहिर है कि लोग बेफिक्र हो गये हैं। लोगोंको न तो स्वयंका और नहीं अपनोंका ख्याल है। दुनियाने पिछले वर्ष ही सख्त लाकडाउन झेला। फिर भी बिना मास्क एवं सेनेटाइजके लोगोंका बाहर निकलना आश्चर्यचकित करता है। रिपोर्टके अनुसार कोरोनाकी यह दूसरी लहर सौ दिनोंतक चल सकती है। यानी यह खतरनाक वैरिएंट चार या पांच माहतक चल सकता है। विश्वकी रफ्तार थमनेकी वजहसे आर्थिक मंदी भी दुनिया देख रही है। वैश्विक स्तरपर बड़े स्तरपर आबादी गरीबीकी ओर भी बढ़ चुकी है। बेरोजगारीका ग्राफ बढ़ा है। यदि कोरोनाकी मार लम्बे समयतक चली तो मानव समाजके लिए बड़ी चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। कठोर लाकडाउन झेलनेके बाद भी लोगोंकी बेफ्रिकी अनेकों प्रश्न खड़ा करती है। इतनी शीघ्रताके साथ लोग मुश्किïल दौरको कैसे भूल गये। जबकि हमें यह अहसास होना चाहिए संक्रमण बढऩेकी बड़ी वजह मास्क न लगाना, शारीरिक दूरीका पालन एवं हाथोंको सेनेटाइज न करना ही नये वैरिएंटके आगमनका रास्ता बना है। व्यवहारगत लापरवाही और निश्चिंतताके भावने अत्यन्त मुश्किलमें डाल दिया है। हालांकि सरकारसे टीकाकरणके दायरेको बढ़ा दिया है फिर भी कोरोनाने बृहद रूपसे अपना फैलाव भी बढ़ाया है। देशके कई हिस्सोंमें ऐहतियातके तौरपर रातका कफ्र्यू भी लगाया गया है। होली एवं कुम्भ जैसे सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजनोंसे जुड़े उत्साहसे लोगोंने कोरोनाके डरको पीछे छोड़ दिया है। बाजारोंमें बिना मास्क एवं शारीरिक दूरीका पालन सिरेसे गायब है। लोग बेहिचक आगे बढ़ चले हैं जैसे कि कोरोना न कभी था और न ही कभी आयेगा। इस परिस्थितिमें लाकडाउन लगाना भी आर्थिक दृष्टिïसे आत्मघाती ही होगा। ऐसेमें व्यावहारिक एवं उपयोगी कदम यही है कि शीघ्रताशीघ्र अधिकसे अधिक लोगोंका टीकाकरण हो। कोरोनाके नये वैरिएंटकी लहरके बीच बचाव ही उपचारकी भूमिका निभा सकता है। हालांकि कोरोना महामारीके खिलाफ जंग जीतनेका मात्र एक ही तरीका हैै कि टीकाकरणकी गति बढ़ायी जाये। फिलहाल एक दिनमें अधिकतम ३४ लाख लोगोंको कोरोना वैक्सीन दी जा रही है। मुश्किल यह है कि जिन्हें कोरोना हो चुका था और वह मुक्त हो चुके थे उन्हें भी इस नये वैरिएंटसे खतरा है। खतरा अभी टला नहीं है। अत: हमें अत्यन्त संयमसे चलनेकी जरूरत है। लोगोंको यदि लाकडाउनसे बचना है और स्वयंको सुरक्षित रखना है तो कोरोनासे सम्बन्धित समस्त प्रोटोकालका अनुसरण करना होगा। टीका लगवाना भी आवश्यक है। यह ठीक है कि टीका हमें अंदरूनी तौरपर मजबूती प्रदान करेगा। परन्तु बाहरी स्तरपर भी हमें सावधानी बरतनी है।