सम्पादकीय

म्यांमारमें तख्तापलट


म्यांमारमें दस साल पूर्व अपनायी गयी लोकतांत्रिक प्रणालीको दरकिनार कर एक बार फिर सैन्य शासनकी वापसी अत्यन्त चिन्ताका विषय है। म्यांमारकी सेनाने सोमवारको लोकतांत्रिक ढंगसे चुनी गयी सरकारका तख्तापलट कर एक वर्षके आपातकालके तहत देशकी सत्ताको अपने नियंत्रणमें कर लिया है। साथ ही देशकी सर्वोच्च नेता स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्टï्रपति यू विन मिंट समेत कई नेताओंको हिरासतमें ले लिया गया है। पिछले वर्ष नवम्बरमें हुए आम चुनावमें व्यापक धांधलीके बादसे ही जनवरीमें तख्तापलटकी आशंका व्यक्त की जा रही थी। सेनाका सत्ताकी बागडोर अपने हाथमें लेनेके पीछे कई कारण हैं लेकिन मुख्य रूपसे कोरोना संकट और नवम्बरमें निष्पक्ष चुनाव करानेमें सरकारकी विफलताको कारण माना जा रहा है। सोमवारको प्रात: सरकारको पदच्युत करनेकी काररवाईके दौरान सत्तारूढ़ दलके शीर्ष नेताओं और अधिकारियोंकी गिरफ्तारीके बाद राजधानी नेपीता और मुख्य शहर यंगूनमें बख्तरबंद वाहन गश्त कर रहे हैं और सड़कोंपर सैनिक मौजूद हैं जिससे देशमें असहज स्थिति उत्पन्न हो गयी है। सैन्य कररवाईके चलते संचारके सभी माध्यम बंद कर दिये गये हैं जिससे सूचनाओंका सही आदान-प्रदान रुक गया है। राजधानी नेपीतासे सम्पर्क टूटनेके कारण पूरे देशके हालात बिगड़ गये हैं। बैंकोंने कुछ समयके लिए सभी आर्थिक सेवाओंको बंद कर दिया है जिससे लोगोंके समक्ष आर्थिक संकट गहरानेकी आशंका बलवती हुई है। लोकतांत्रिक ढंगसे चुनी गयी सरकारको सत्तासे बेदखल करनेकी सैन्य काररवाईपर भारत, अमेरिका सहित कई देशोंने चिन्ता व्यक्त की है। भारत म्यांमारके हालातपर करीबी नजर रखे हुए है। सैन्य तख्तापलट और शीर्ष नेताओंके हिरासतमें लिये जानेपर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि भारत पड़ोसी देशमें सत्ताके लोकतांत्रिक ढंगसे हस्तान्तरणका हमेशा समर्थक रहा है और चाहता है कि देशमें कानूनका शासन बना रहे। म्यांमारकी मौजूदा स्थितिसे चिन्तित अमेरिकाने धमकी दी है कि यदि देशमें लोकतन्त्रकी बहालीके लिए सही कदम नहीं उठाये गये तो वह काररवाई करेगा। संयुक्त राष्टï्रके महासचिव एंतोनियो गुतारेसने भी शीर्ष नेताओंको हिरासतमें लेनेकी निन्दा करते हुए देशकी सत्ता सेनाके हाथमें जानेपर चिन्ता जतायी है। म्यांमारमें तख्तापलट बड़ी घटना है। वहां सेनाका वर्चस्व बढऩा चिन्ताकी बात है। सेनाका महत्वाकांक्षी होना सही नहीं है। इसपर रोक लगानेके लिए तत्काल वैश्विक स्तरपर दबाव बनानेकी जरूरत है।

दोस्तीका हाथ

अमेरिकी राष्टï्रपति जो बाइडेनने दोस्तीका हाथ बढ़ाते हुए भारतको सबसे अत्याधुनिक युद्धक विमान एफ-१५ ई-एक्स देनेकी स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह विमान शीघ्र ही भारतीय वायु सेनाको प्राप्त हो जायगा। इससे जहां भारतीय वायुसेनाकी ताकत बढ़ेगी वहीं चीन और पाकिस्तानकी चिन्ताएं भी बढ़ जायंगी। इस युद्धक विमानकी क्षमता विलक्षण है, जो हर मौसममें हमला करनेमें सक्षम है। एफ-१५ ई-एक्स विमान एफ-१५ विमानोंकी सीरीजका उन्नत संस्करण है। यह बहुउद्देश्यीय विमान हर मौसममें दिन या रातमें हर समय उड़ान भरने और दुश्मनको निशाना बनानेकी कम्बैट क्षमताओंसे लैस है। भारत और अमेरिकाकी सरकारोंमें इस युद्धक विमानोंके बारेमें चर्चा हुई थी। सूचनाओंके आदान-प्रदानके बाद अमेरिकी सरकारने भारतको एफ-१५ ई-एक्स विमान देनेके लाइसेंस सम्बन्धी अनुरोधको स्वीकार कर लिया है। भारतीय वायुसेनामें इन विमानोंका शामिल होना बड़ी उपलब्धि है। अगले सप्ताह बेंगलुरुमें शुरू होनेवाले एयरो इण्डिया २०२१ में एफ-१५ ई-एक्स विमानको भी प्रदर्शित किया जायगा। रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संघटन (डीआरडीओ) की ओरसे आयोजित होनेवाले इस कार्यक्रममें एफ-१५ ई-एक्स युद्धक विमान आकर्षणका केन्द्र बनेगा। इस युद्धक विमानका ऐसे समय सौदा मंजूर हुआ है जब भारत और चीनके बीच तनाव और कटुताकी स्थिति बनी हुई है। चीनके गलत रवैयेसे गतिरोध बना हुआ है। भारतीय वायुसेना पहलेसे ही पूरी तरह सक्षम है। अब इस नये विमानके आनेसे वायुसेनाकी ताकत और बढ़ जायगी। इससे चीन और पाकिस्तान दोनोंपर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ेगा। अमेरिका और भारतके द्विपक्षीय सम्बन्ध काफी प्राचीन हैं। अमेरिका भारतके हितोंके प्रति संवेदनशील रहता है। चीनके रवैये और उसकी विस्तारवादी नीतिसे अमेरिका सख्त नाराज है। पूर्व राष्टï्रपति डोनाल्ड ट्रम्पकी भांति नये राष्टï्रपति जो बाइडेनने भी चीनको कड़ी धमकी दे डाली है। नये युद्धक विमानोंको मंजूरी देकर अमेरिकाने चीनकी चिन्ता भी बढ़ा दी है। साथ ही बाइडेनने भारतके साथ सम्बन्धोंको आगे बढ़ानेपर भी मुहर लगा दी है।