सम्पादकीय

समग्र राष्ट्र निर्माणका बजट


अवधेश कुमार

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमणने २०२१-२२ का बजट प्रस्तुत करते हुए गुरु रविंद्र नाथ टैगोरकी यह पंक्ति सुनायी, उम्मीद ऐसी चिडिय़ा है जो अंधेरेमें भी चहचहाती है। देशके समक्ष समस्याएं और चुनौतियां जितनी गहरी है उनका वास्तविक मूल्यांकन कर उनसे निबटने और सामना करनेके लिए साहसपूर्ण व्यावहारिक प्रभावी कदम उठानेका जोखिम ले। क्या मोदी-दो सरकारके इस दूसरे बजटको हम इस कसौटीपर खरा पा सकते है। इस समय कृषि कानूनके विरोधमें राजधानीमें किसान संघटनोंका आंदोलन चल रहा है। बड़े वर्गका ध्यान इस ओर रहा होगा कि कृषि और किसानोंसे संबंधित क्या घोषणाएं होती हैं। विस्तारसे समस्त प्रावधानोंका यहां उल्लेख संभव नहीं है, लेकिन कृषि और ग्रामीण आधारभूत संरचना, कृषिके लिए कर्जकी राशि, फसलोंके न्यूनतम मूल्य, कृषिसे संबंधित उद्योगोंको प्रोत्साहित करने, नष्ट होनेवाले २२ फसलोंको ऑपरेशग्रीनमें शामिल करने आदि बातें निश्चय ही आकर्षक हैं। यह पहली बार है जब कृषि आधारभूत संरचनाके धनका उपयोग कृषि उत्पाद बाजार समिति यानी एपीएमसीके लिए भी किया जा सकेगा। जो लोग मंडियोंको खत्म किये जानेका आरोप लगा रहे थे उनको तत्काल उत्तर मिल गया। वैसे गांव-कृषि और किसानको हम सम्पूर्ण व्यवस्थासे अलग करके नहीं देख सकते। इसी तरह समाज और अर्थव्यवस्थाके सम्पूर्ण हिस्सोंको गांव, गरीब, किसानोंसे अलग नहीं कर करते। संतुलित बजट वही माना जायगा जब समाज, अर्थ और व्यवस्थासे जुड़े सभी पहलुओंको आवश्यकता, उपादेयता, अनुपातके अनुसार स्थान दिया जाय। राजनीतिको अलग करके विचार करें तो यह स्वीकार करना होगा कि सीतारमणका बजट इन मायनोंमें संतुलित है। यह पहलेसे साफ था कि स्वास्थ्यको पूरी तरह भारतीय परम्पराओंको भी सशक्त करते हुए विश्वस्तरीय बना देनेके लिए सारे पहलुओंको समेटे हुए व्यापक योजना और प्रावधान होंगे। स्वास्थ्यका कुल बजट दो लाख २३००० करोड़ है। यानी आवंटन रिकॉर्ड १२७ प्रतिशत बढ़ा है। इसमें ६४,१८० करोड़ रुपयेके बजटके साथ प्रधान मंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना शुरू होगी। इस कार्यक्रमके अर्थसे ही स्पष्ट है कि इसका लक्ष्य क्या है। ७० हजार गांवोंके वेलनेस सेंटर्सको इससे मदद मिलेगी। ६०२ जिलोंमें क्रिटिकल केयर अस्पताल शुरू होंगे। नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल या राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्रको मजबूत किया जायगा। इंटीग्रेटेड हेल्थ इन्फॉर्मेशन पोर्टल शुरू किया जायगा, ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं या पब्लिक हेल्थ लैब्सको कनेक्ट कर सकें। १५ हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर्स शुरू किये जायंगे, नौ बायो सेफ्टी लेवल लैब शुरू होंगी। बजटमें गांवसे शहरतक स्वास्थ्य ढांचेको ऐसा बनानेका लक्ष्य है जिसमें सबको उचित इलाज मिल सके। इस नाते यह बजट ऐतिहासिक है।

विकसित देशोंकी कतारमें खड़े होनेके लिए भारत हर क्षेत्रसे जुड़े आधारभूत ढांचाको वैश्विक स्तरपर लाना अपरिहार्य है। इसपर पहले भी फोकस हुआ है। मोदी सरकारने आरंभसे ही इसकी पूरी कोशिश की है। पिछले बजटमें ११० लाख करोड़ रुपये पांच वर्षोंमें खर्चकी घोषणा हुई थी। कोरोना आघातसे बाहर निकलनेका संकेत देते हुए इस बजटमें ऐसे प्रावधान हैं जिनसे २०२० की भी भरपाई हो जाय। १.१० लाख करोड़ रुपयेका रिकॉर्ड आवंटन तो केवल रेलवेके लिए हैं। भारतमाला परियोजनाके लिए ३.३ लाख करोड़ रुपयेका प्रावधान है। रेलवेने राष्ट्रीय रेल योजना २०३० बनाया है ताकि भविष्यके लिए पूरी तरह तैयार रेल प्रणाली बनायी जा सके। मार्ग आधारभूत संरचनाके लिए आर्थिक गलियारे बनाये जायंगे। सड़क परियोजनाओंको चुनावी राजनीतिका तोहफा बताना आसान है। बंगालमें २५ हजार करोड़ रुपयेसे हाईवेका निर्माण, ३४ हजार करोड़ रुपये असममें नेशनल हाईवेजपर, ६५ हजार करोड़ रुपयेसे केरलमें ११०० किमी नेशनल हाईवेका निर्माण आदिको चुनावी जनरियेसे देखा जा सकता है। किन्तु तमिलनाडुमें तो भाजपा बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं कर रही होगी। वहां भी ३५०० किमी नेशनल हाईवेज परियोजनाके तहत १.०३ लाख करोड़ रुपये खर्च करनेकी घोषणा है। इसे देशकी आवश्यक आधारभूत संरचनाको वर्तमान एवं भविष्यके अनुरूप सशक्त करनेकी दृष्टिसे देखना उचित होगा। आधारभूत ढांचेके क्षेत्रमें केवल निर्माण और विस्तारोंकी ही घोषणाएं नहीं है। डेवलपमेंट फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट यानी विकास वित्तीय संस्थानकी जरूरत बताते हुए एक विधेयक लानेकी घोषणा है। सार्वजनिक आधारभूत ढांचाके मुद्रीकरणपर ध्यान देनेकी घोषण है। इसके लिए नेशनल मोनेटाइजेशन पाइप लाइन शुरू होगी। इसका एक डैशबोर्ड बनेगा, ताकि इस मामलेमें हो रही तरक्कीको देखा जा सके।

निस्संदेह कोई भी बजट सबको संतुष्ट नहीं कर सकता। परन्तु जरा दूसरे नजरियेसे देखिए। ऐेसे संकटके कालमें ३४.८३ लाख करोड़का बजट असाधारण साहसका परिचय देनेवाला है। आप कोरोना कालमें वित्तमंत्री द्वारा घोषित तीन पैकेजों, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना तथा रिजर्व बैंककी योजनाको मिला दीजिए तो बीस लाख करोड़से ज्यादाकी राशि सरकार पहले ही दे चुकी है। इनको साथ मिलाकर देखिये और राजनीतिक नजरियेसे परे होकर विचार करें। चीनने सीमापर और उसके परे भारतके अंतरराष्ट्रीय-क्षेत्रीय रक्षा हितोंके समक्ष जो चुनौतियां पेश कर दी हैं उसमें भारतके पास रक्षा व्यवस्थाको किसी स्थितिसे निबटनेके लिए कमर कसनेके अलावा कोई चारा नहीं था। चार लाख ७८ हजार करोड़की राशिका आवंटन करना पड़ा है। यदि सबके सिरसे बोझ कम कर दिया जाय तो धन आयगा कहांसे। विदेशी निवेशके लिए भी आपको पूरा ढांचा उपलब्ध कराना ही होगा और इसकी पूरी कोशिश बजटमें है। हम न भूलें कि किसीके सिरपर करोंका बोझ बढ़ाया नहीं गया है।

कई लोग अलग-अलग विषय उठाकर बजटकी हमेशा आलोचना करते हैं। बजटको समग्रतामें देखनेसे ही सही निष्कर्षतक पहुंच सकते हैं, खंड-खंडमें विचार करनेसे नहीं। जो लोग पूछ रहे हैं कि इसमें रोजगारके लिए क्या किया गया है उनको ध्यान रखना चाहिए कि आधारभूत संरचनाके जितनी परियोजनाएं हैं, ग्रामीण आधारभूत संरचना या शहरी, स्वच्छ जल मिशन, मिशन पोषण कार्यक्रम, शिक्षा क्षेत्रके कदम। सबमें बिना घोषणाके करोड़ों रोजगारके अवसर पैदा होंगे। स्वास्थ्य मूल राज्योंका विषय है लेकिन पूरी योजना साकार हुई तो स्वास्थ्य क्षेत्रकी पूरी तस्वीर बदल जायगी। देशका कौन-सा वर्ग और क्षेत्र इसमें समाहित नहीं होगा। आर्थिक विकासमें इसका सतत स्थायी योगदान होगा। व्यक्तिसे समाज और समाजसे राष्ट्र बनता है। इसलिए राष्ट्रीय चरित्रके निर्माणका आधार और उसकी दिशा भी बजटमें दिखाई देनी चाहिए। ध्यान देंगे तो सौ सैनिक विद्यालय खोलनेकी ऐतिहासिक घोषणा इस दिशामें महत्वपूर्ण भूमिका निभायगी।

इसी तरह राष्ट्रीय भाषाओंमें अनुवादकी योजना है। अन्य भाषाओंकी पुस्तकोंका हिन्दीमें, हिन्दीकी पुस्तकोंका अन्य भाषाओंमें, अन्य भाषाओंकी पुस्तकोंका भी दूसरी अन्य भाषाओंमें होनेसे सम्पूर्ण देशमें पढऩे-लिखनेवाले लोग एक-दूसरेकी सभ्यता संस्कृतिसे परिचित होंगे। इससे सांस्कृतिक विविधतावाले देशमें एकताका पुनर्जागरण होगा। इसी तरह उच्च शिक्षाके लिए आयोग, केंद्रीय विश्वविद्यालयोंकी स्थापना, हजारों विद्यालयोंका उन्नतिकरण, आदिवासियोंके लिए और एकलव्य विद्यालयोंकी स्थापना एवं उन्नतिकरण, आदिवासी छात्रोंकी छात्रवृत्तिका नये सिरेसे रचना, अनुसंधान एवं अन्वेषणके लिए मोटी राशि और व्यवस्थाएं आदि भविष्यमें महाशक्तिकी भूमिका निभानेके लिए भारतीय प्रतिभा तैयार करनेकी दिशामें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि कोरोना कालसे उबर रहे भारतीयोंमें विश्वास और सकारात्मक पटरीपर दौड़ानेकी दृष्टिसे यह बजट याद किया जायगा।