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यासीन मलिक को होगी फांसी या उम्रकैद? NIA की विशेष अदालत थोड़ी देर में सुनाएगी फैसला


नई दिल्ली,  टेरर फंडिंग मामले (Terror Funding Case) में दोषी आंतकी यासीन मलिक (Yasin Malik) की सजा पर थोड़ी देर में फैसला आने वाला है। एनआइए की विशेष अदालत (NIA Special Court) ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। जागरण संवाददाता गौरव बाजपेई के मुताबिक यासीन द्वारा अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोप स्वीकार करने के बाद एनआइए के स्पेशल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया है। हुर्रियत नेता और प्रतिबंधित संगठन जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख को 2017 के आतंकी फंडिंग मामले में अदालत ने गुरुवार को दोषी ठहराया। वर्तमान में वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।

  • एनआइए ने इन आतंकी संगठनों के साथ मिलकर हिंसा फैलाने का लगाया आरोप

     

    एनआइए के अनुसार, विभिन्न आंतकी संगठन जैसे, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एमएच) जम्मू और कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (जेकेएलएफ), जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों और नागरिकों पर हमला करके हिंसा को अंजाम दिया। आरोप लगाया कि 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को एक राजनीतिक मोर्चा देने के लिए आल पार्टीज हुर्रियत कान्फ्रेंस (APHC) का गठन किया।

  • यासीन बोला- तो छोड़ दूंगा राजनीति…

     

    यासीन मलिक के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने टेरर फंडिंग के मामले में फांसी की सजा की मांग की है। इस दौरान यासीन ने कहा कि अगर किसी भी आतंकी गतिविधि या हिंसा में संलिप्त पाया जाता हूं, तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा। और किसी भी चीज के लिए भीख नहीं मांगूंगा।

  • यासीन मलिक के काले कारनामों की कहानी-

     

    • वर्ष 1987 के बाद यासीन मलिक व उसके साथी कश्मीर की आजादी के नारे के साथ कश्मीरी मुस्लिमों को बरगलाने लगे। उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा और उन्हें कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर किया।
    • यासीन मलिक ने अपने साथियों संग मिलकर आठ दिसंबर 1989 को तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रूबिया सईद का अपहरण किया था। यह मामला भी अदालत में विचाराधीन है।
    • अगस्त 1990 में यासीन मलिक हिंसा फैलाने के विभिन्न मामलों में पकड़ा गया और 1994 में वह जेल से छूटा। जेल से छूटते ही उसने कहा कि वह अब बंदूक नहीं उठाएगा, लेकिन कश्मीर की आजादी के लिए लड़ेगा।
    • 1994 में जेल से छूटने के बाद 1998 तक वह कई बार पकड़ा गया और कभी एक माह तो कभी तीन माह बाद जेल से छूटता रहा है।
    • अक्टूबर 1999 में यासीन मलिक को पुलिस ने राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सलिंप्तता के आधार जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया था।
    • कुछ समय बाद वह जेल से छूट गया और 26 मार्च 2002 को उसे हवाला से संबंधित एक मामले में पोटा के तहत गिरफ्तार किया गया था।
    • वर्ष 2013 में उसने पाकिस्तान में लश्कर के सरगना हाफिज सईद के साथ मिलकर कश्मीर में सुरक्षाबलों पर आम कश्मीरियों के मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए धरना दिया था।

     

  • यासीन मलिक के सताए लोगों ने भी की फांसी की मांग

     

    एनआइए ने यासीन मलिक के लिए फांसी की मांग की है, तो वहीं जम्मू-कश्मीर में यासीन द्वारा सताए लोगों ने भी फांसी की मांग की है। डाउन टाउन में रहने वाले अब्दुल रशीद ने कहा कि जिम्मेदार यासीन मलिक से आज कानून हिसाब ले रहा है। उसे बार-बार फांसी दी जाए, ताकि दूसरों को भी सबक मिले। वायुसेना के बलिदानी अधिकारी रवि खन्ना की पत्नी निर्मला खन्ना ही नहीं, यासीन मलिक के इशारे पर कश्मीर में मौत के घाट उतारे गए लोगों के स्वजन का कहना है कि अदालत का फैसला कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद के अंत की शुरुआत है।