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- कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से होगी नियमित नियुक्ति
- रिक्तियों के लिए बनेगा पोर्टल, पांच हजार पद रिक्त
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(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य के पारंपरिक विश्वविद्यालयों एवं उसके अंगीभूत महाविद्यालयों में थर्ड ग्रेड के शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियमित बहाली होगी। यह बहाली कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से होगी। इसके लिए पोर्टल बनेगा। पारंपरिक विश्वविद्यालयों एवं उसके अंगीभूत महाविद्यालयों में थर्ड ग्रेड के शिक्षकेतर कर्मचारियों के तकरीबन पांच हजार पद खाली हैं।
राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के उच्च शिक्षा निदेशालय की योजनाओं में पारंपरिक विश्वविद्यालयों एवं उसके अधीनस्थ अंगीभूत महाविद्यालयों में थर्ड ग्रेड के शिक्षकेतर कर्मचारियों की कर्मचारी चयन आयोग से नियमित बहाली का एजेंडा शामिल है। शिक्षा विभाग में शनिवार को हुई उच्चस्तरीय बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय की भावी योजनाओं का प्रेजेंटेशन हुआ।
राज्य के 13 पारंपरिक विश्वविद्यालयों में पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय एवं मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय शामिल हैं। इन विश्वविद्यालयों के अधीन तकरीबन 250 अंगीभूत महाविद्यालय हैं। इसके अलावे अंगीभूत महाविद्यालय विहीन अनुमंडलों में भी राज्य सरकार द्वारा 11 डिग्री महाविद्यालय खोले गये हैं, जो संबंधित विश्वविद्यालयों के अंगीभूत इकाई के रूप में काम कर रहे हैं।
विश्वविद्यालयों की व्यवस्था दुरुस्त होगी
पटना (आशिप्र)। राज्य के पारंपरिक विश्वविद्यालयों में प्रशासनिक एवं वित्तीय व्यवस्था दुरुस्त होगी। शैक्षिक सत्र नियमित होगा एवं उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) बढ़ेगा।
इसे शिक्षा विभाग के उच्च शिक्षा निदेशालय ने अपनी भावी योजनाओं में शामिल किया है। शिक्षा विभाग में शनिवार को हुई उच्चस्तरीय बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय की भावी योजनाओं का प्रेजेंटेशन हुआ। घंटों चली बैठक में शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव संजय कुमार, सचिव असंगवा चुबा आओ, माध्यमिक शिक्षा निदेशक मनोज कुमार, शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक डॉ. विनोदानंद झा तथा उच्च शिक्षा एवं बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के सभी संबंधित अधिकारी शामिल थे।
प्रस्तावित योजनाओं के मुताबिक विश्वविद्यालयों में प्रशासनिक सुधार के लिए अधिकारियों को ट्रेंड किया जायेगा। विश्वविद्यालयों का बजट सॉफ्टवेयर से बनेगा। विश्वविद्यालयों के बजट की मॉनीटरिंग भी सॉफ्टवेयर से होगी। शैक्षिक सत्र नियमित करने के लिए परीक्षाएं समय से होंगी। रिजल्ट भी समय से दिये जायेंगे।
झारखंड के अलग होने के पहले एकीकृत बिहार के विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में थर्ड ग्रेड एवं फोर्थ ग्रेड के शिक्षकेतर कर्मचारियों के पद तकरीबन 40 हजार था। एकीकृत बिहार के तीन विश्वविद्यालयों एवं उसके अधीनस्थ अंगीभूत महाविद्यालयों के झारखंड में चले जाने के बाद बिहार के विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में थर्ड ग्रेड एवं फोर्थ ग्रेड के शिक्षकेतर कर्मचारियों के पद तकरीबन 33 हजार रह गये।
दोनों कोटि के शिक्षकेतर कर्मचारी रिटायर करते चले गये, लेकिन खाली पदों पर नियुक्ति नहीं हुई। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में विश्वविद्यालयों एवं उसके अंगीभूत महाविद्यालयों में थर्ड ग्रेड एवं फोर्थ ग्रेड के शिक्षकेतर कर्मचारियों की संख्या 10-11 हजार ही रह गयी है। नये विश्वविद्यालयों का काम-काज अंगीभूत महाविद्यालयों के थर्ड ग्रेड के कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति से चल रहा है। ऐसे भी अंगीभूत महाविद्यालय हैं, जहां थर्ड ग्रेड के शिक्षकेतर कर्मचारियों के नहीं रहने से काम-काज पर असर पड़ रहा है।