लखनऊ (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में अभियान चलाकर जमीन का आवासीय पट्टा गरीबों के नाम पर करने की कार्रवाई की जाए, जिससे कोई भी बेघर नहीं हो और उसे मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि सरकार हर व्यक्ति को रोटी,कपड़ा और कमान देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए ये कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। मुख्यमंत्री मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अन्तर्गत 21,562 लाभार्थियों को आवास निर्माण की कुल लागत 260.65 करोड़ के सापेक्ष प्रथम किश्त 87 करोड़ के ऑनलाइन हस्तांतरण के मौके पर बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इस युग में जब शासन की अनेक योजनाएं चल रही हैं, उस समय भी एक तबका ऐसा है जिसके पास बुनियादी सुविधा मकान भी सम्मानजनक ढंग से रहने के लिए नहीं है। ऐसी परिस्थितियों के मद्देनजर ही हम लोगों ने आज से तीन वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की तर्ज पर ही मुख्यमंत्री आवास योजना शुरू की थी। सामाजिक, आर्थिक एवं जातिगत जनगणना-2011 की सूची से बाहर रह गए उन सभी परिवारों को इससे लाभान्वित करने के लिए इसे प्रारम्भ किया गया। हालांकि उत्तर प्रदेश में पिछले तीन वर्षों के दौरान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 30 लाख से अधिक गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशन में पूरे देश में दो करोड़ से अधिक परिवारों को एक-एक आवास उपलब्ध हुए और इसमें उत्तर प्रदेश के अंदर 30 लाख से अधिक परिवारों को यह सुविधा प्राप्त हुई। कुछ दिनों के अंदर ही हम लगभग साढ़े सात लाख गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान उपलब्ध कराने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के कर कमलों से यह कार्यक्रम कराया जाएगा। वनटांगिया, मुसहर जाति 2017 से पहले सरकारी योजनाओं से थी वंचित उन्होंने कहा कि हालांकि, प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित रहने वाले रहे उन सभी परिवारों को भी लाभान्वित करने का काम किया जा रहा है। इनमें वनों के बीच रहने वाले वनटांगिया समुदाय की बात करें तो 2017 के पहले इनके गांवों को राजस्व ग्रामों की मान्यता नहीं मिल पाई थी। सामाजिक, आर्थिक एवं जातिगत जनगणना-2011 की सूची से ये लोग बाहर थे। इन सभी गांव में एक भी पक्का मकान नहीं था। आज प्रसन्नता है कि वहां पर लगभग शत-प्रतिशत आच्छादन की ओर हम लोग पहुंच चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा इसी तरह से मुसहर जाति उत्तर प्रदेश के अंदर सबसे बदहाल और गरीब जाति थी। कुशीनगर, महाराजगंज, गोरखपुर, वाराणसी, जौनपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर और प्रदेश के लगभग बहुत सारे जनपद ऐसे थे, जहां इनकी संख्या बहुतायत थी। लेकिन इन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही थी। यहां तक कि जिस भूमि पर ये लोग झोपडिय़ों में रहते थे, उसकी जमीन का पट्टा भी उनके नाम नहीं था। इनको शासन की किसी योजना का लाभ 2017 के पहले नहीं मिलता था। लेकिन, आज ज्यादातर इस सुविधा का लाभ प्राप्त कर चुके हैं या उन्हें प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार से कालाजार, मस्तिष्क ज्वर, जापानी इंसेफेलाइटिस, या फिर कुष्ठ रोगी, जिन्हें शासन की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था उन्हें इनसे लाभान्वित करने के लिए हम लोगों ने मुख्यमंत्री आवास योजना प्रारंभ की। मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि बीते तीन वर्षों के दौरान 50,700 से अधिक परिवारों को इससे लाभान्वित किया गया। उन्होंने कहा कि आज 21,500 से अधिक परिवार इस योजना से जुड़ रहे हैं। इसके जरिए मिर्जापुर, सोनभद्र और चंदौली में प्रति लाभार्थी 1.30 लाख की धनराशि आवास योजना के लिए और जिन परिवारों को शौचालय नहीं मिल पाया है उन्हें मनरेगा के अंतर्गत 12,000 की धनराशि इसके लिए अलग से उपलब्ध कराने की व्यवस्था होगी। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में 95 दिनों तक मनरेगा की मजदूरी वहां पर उन्हें उपलब्ध कराने की कार्रवाई भी की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वहीं शेष अन्य जनपदों में 1.20 लाख की धनराशि के साथ साथ ही अगर शौचालय नहीं है तो शौचालय के लिए 12,000 अलग से और इसके अलावा 90 दिन की मनरेगा की मजदूरी भी उन्हें मकान निर्माण के लिए उपलब्ध करायी जाएगी। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर सभी जिला प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि जिस गरीब की जहां पर झोपड़ी है, स्वामित्व योजना के अंतर्गत अगर वह रिजर्व कैटेगरी और विवादित जमीन नहीं है, तो उसका मालिकाना हक उसे दिलाने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि ये उन गरीबों के लिए एक बड़ा कार्य होगा, जिन्हें बार-बार खानाबदोश की जिंदगी जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि वहीं अगर रिजर्व कैटेगरी या विवादित जमीन है तो उन्हें ऐसे सुरक्षित स्थान पर बसाने का कार्य हो, जहां पर उनके और अन्य समुदाय से जुड़े लोगों में विवाद नहीं हो। उन्होंने कहा कि इसके तहत वाराणसी और कुछ अन्य स्थानों पर क्लस्टर के रूप में आवास उपलब्ध कराए गए हैं। उसी तर्ज पर इन गरीबों के लिए क्लस्टर में आवास, पार्क, शौचालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि सबसे पहला कार्य जमीन का पट्टा एक अभियान चलाकर गरीबों के नाम पर करने की कार्रवाई सुनिश्चित हो जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके संज्ञान में आया है कि लगभग 4,000 परिवार जो लाभार्थी बन सकते हैं वह महज इसलिए नहीं बन पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास आवास के लिए जमीन नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा हमारे पास ग्रामीण क्षेत्र में जमीन होती है उसको हम ट्रांसफर कर सकते हैं। इसी तरह अन्य योजनाओं से भी गरीबों को इसे उपलब्ध कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह कार्य प्राथमिकता से होना चाहिए। किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसके जीने के लिए रोटी, तन को ढकने के लिए कपड़ा और सिर को ढकने के लिए मकान आवश्यक शर्त है और सरकार इसे देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इसके लिए आवश्यक है कि हम मकान की सुविधा के लिए आवासीय पट्टा तत्काल उन गरीबों को प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराने की कार्रवाई सुनिश्चित करें।
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