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यूपी-पंजाब समेत 3 चुनावी राज्यों में किसान आंदोलन तेज करेगा संयुक्त किसान मोर्चा


नई दिल्ली,  फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत कई अन्य मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपना आंदोलन तेज करने का ऐलान किया है। दिल्ली में आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति की अहम बैठक के बाद प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान किसान नेता डा. दर्शन पाल ने मांगों को लेकर आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया है। इसके तहत छोटी-छोटी बैठकें भी की जाएंगी और सरकार की गलत नीतियों के बारे में बताया जाएगा। केंद्र सरकार ने जो वादे पूरे नहीं किए उसके बारे में जनता के बीच प्रचार किया जाएगा। लखीमपुर खीरी मामले को भी उठाया जाएगा। अभी तक आरोपित केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बने हुए हैं, जबकि उन्हें बर्खास्त करने की मांग किसान संगठनों की ओर से उठी थी।

संयुक्त किसान मोर्चा की पत्रकार वार्ता के दौरान किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि 5 बिंदु पर सहमति बनी थी और उसी आधार पर हमने आंदोलन को स्थगित किया था। किसान नेता ने कहा कि एमएसपी पर कानून को लेकर समिति बनाने, किसानों पर मुकदमें को वापस लेने, पराली पर जुर्माने के प्रविधान पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। केंद्र सरकार द्वारा वादाखिलाफी, इसलिए 31 जनवरी को विश्वासघात दिवस मनाया गया था। वहीं, दिसंबर को सरकार की चिट्ठी के आधार पर आंदोलन वापस लिया था। अब किसान विरोधी सरकार के खिलाफ चुनाव में निर्णय लिया गया है। इसके तहत उत्तर प्रदेश क्षेत्र की मीटिंग की थी, जिसमें 41 संगठन के लोग हाजिर थे। उसमें 57 संगठन को शामिल होना था। बैठक में तय हुआ कि पर्चा छापकर गांव गांव बांटा जाएगा। वहीं अन्य किसान नेता ने कहा कि किसान आंदोलन व लखीमपुर खीरी घटना से भाजपा का ग्राफ गिरा है। ऐसे में पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में किसान आंदोलन और तेज करेंगे।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा का क्या रुख होगा? इसको लेकर एसकेएम बृहस्पतिवार को दिल्ली में अपनी रणनीति घोषित करेगा। इसके लिए आयोजित की जा रही है। इसके बाद दिल्ली में प्रेस क्लब में होने वाली पत्रकार वार्ता में यूपी चुनाव में संयुक्त किसान मोर्चा की भूमिका को लेकर रुख स्पष्ट किया जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक, संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिती की इस बैठक के बाद किसान नेता डा. दर्शन पाल, हन्नान मौल्ला और राकेश टिकैत समेत अन्य किसान नेता पत्रकारों को संबोधित करेंगे।

बता दें कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद एमएसपी समेत विभिन्न मांगों को लेकर अभी तक भाजपा और केंद्र सरकार के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा हमलावर रहा है। दरअसल, तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के रद होने के साथ ही किसान संगठनों ने कई अन्य मांगें भी रख दी थीं। इसके बाद केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद ही किसान संगठनों ने दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर धरना खत्म किया था, इसके साथ मांगों को नहीं मानने पर दोबारा आंदोलन की चेतावनी दी थी। इसके तहत ही 31 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर में विश्वासघात दिवस मनाया गया था। इसका उद्देश्य केंद्र व राज्य सरकार को सशक्त संदेश देना था।  इसके तहत कुछ जगहों पर तहसील स्तर पर भी प्रदर्शन किया था। संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार केंद्र सरकार की 9 दिसंबर को दी गई जिस चिट्ठी के आधार पर किसानों ने अपना आंदोलन स्थगित किया था, उसके लिखित आश्वासन को पूरा न करने के विरोध में किसानों ने 31 जनवरी को देशभर में विश्वासघात दिवस मनाया था।