बर्लिन, म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन-2023 में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने भारतीय विदेशी मंत्री एस जयशंकर की यूरोपीय मानसिकता वाली टिप्पणी का उदाहरण दिया। जर्मन चांसलर ने कहा कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सही कहा था और उनकी बात में दम है।
जयशंकर ने क्या दिया था बयान
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले साल ग्लोबसेक (GLOBSEC) ब्रातिस्लावा फोरम में कहा था कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं।
हमें मिलकर काम करना होगा- जर्मन चांसलर
सम्मेलन में जर्मन चांसलर ने भी इस मानसिकता में बदलाव करने का सुझाव दिया। स्कोल्ज ने कहा भारतीय विदेश मंत्री की यह टिप्पणी म्यूनिख सुरक्षा रिपोर्ट में शामिल है और यदि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मजबूत कानून होता है तो यह अकेले यूरोप की समस्या नहीं होगी। जर्मन चांसलर ने कहा कि गरीबी और भुखमरी जैसी चुनौतियों का हल निकालने के लिए हमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के साथ मिलकर काम करना होगा।
‘जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 से निपटने के लिए काम करना होगा’
जर्मन चांसलर ने आगे कहा हमें संयुक्त कार्रवाई के लिए एक बुनियादी शर्त के रूप में इन देशों के हितों और चिंताओं को संबोधित करना होता है। यहीं कारण है कि जी-7 के दौरान बातचीत की मेज पर केवल एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के प्रतिनिधि ही नहीं थे। जर्मन चांसलर ने कहा कि बढ़ती गरीबी और भुखमरी, आंशिक रूप से रूस के युद्ध के साथ जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 के प्रभाव से जो चुनौतियां आई हैं, उनका हल करने के लिए वास्तव में इन क्षेत्रों के साथ काम करना चाहता था।
दुनिया की समस्या यूरोप की समस्या नहीं है- जयशंकर
पिछले साल जून 2022 में GLOBSEC ब्रातिस्लावा फोरम में भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर से पूछा गया कि उन्हें क्यों लगता है कि यूक्रेन के लिए दूसरों की मदद नहीं करने के बाद चीन के साथ समस्या होने पर कोई नई दिल्ली की मदद करेगा। इस पर विदेश मंत्री ने जवाब दिया था कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्या दुनिया की समस्या है, लेकिन दुनिया की समस्या यूरोप की समस्या नहीं है। उन्होंने कहा यूक्रेन में हो रहे घटनाक्रम से आज चीन और भारत को जोड़ा जा रहा है।