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योगी सरकार के निशाने पर फिर आए माफिया, ध्वस्तीकरण में हुए खर्च की होगी वसूली


नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में माफिया और उनके गुर्गों को फिर एक बार करोड़ों की चोट जल्द ही लगने वाली है। हाल ही में जिले के माफिया के अवैध संपत्ति को ढहा दिया गया था अब उनके अवैध रूप से बने आशियानों को ढहाए जाने में आए लाखों रुपये खर्च की वसूली भी उनसे ही की जाएगी। इस मामले में प्रयागराज (Pryagraj) विकास प्राधिकरण के साथ ही पुलिस और अन्य विभागों ने भी इसकी तैयारी शुरू कर दी है। अफसरों का कहना है कि जिला प्रशासन के माध्यम से आरसी जारी कराकर वसूली की जाएगी, और इसे लेकर काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा।

गैंगस्टर एक्ट के तहत होगी कार्रवाई
दरअसल यूपी में कुछ दिनों परले माफिया के खिलाफ ताबड़तोड़ अभियान चलाया गया, जिसमें पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत उनकी अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों को जब्त किया और पीडीए ने बुलडोजर चलवाकर अवैध रूप से निर्मित आशियानों को ढाह दिया। पीडीए की ओर से ऐसी 50 से अधिक संपत्तियों पर कार्रवाई की गई। इसमें अतीक अहमद, आबिद, जुल्फिकार उर्फ तोता, अकबर, आशिक उर्फ मल्ली समेत माफिया दिलीप मिश्रा, बच्चा पासी, राजेश यादव और कई अन्य शामिल हैं।

ध्वस्तीकरण कार्रवाई में आए समस्त खर्चों की गणना शुरू
माफिया के मकान ढाहने में खिलाफ पुुलिस बल और पीडीए के कर्मचारी ने ही नहीं बल्कि विभागीय संसाधनों का भी प्रयोग किया गया, जिसमें लाखों रुपये खर्च हुए। ऐसे में अब इस खर्च की वसूली संबंधित से करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। पीडीए की ओर से ध्वस्तीकरण कार्रवाई में आए समस्त खर्चों की गणना शुरू हो चुका है। इसके साथ ही पुलिस विभाग ने भी ब्योरा उपलब्ध कराने का काम शुरू करा दिया है। खर्च का सही आंकड़ा मिलने के बाद उसकी वसूली के लिए नोटिस जारी किया जाएगा।

एक करोड़ रुपये केआसपास का खर्च का अनुमान
पीडीए के विशेष कार्याधिकारी आलोक पांडेय नियम के मुकाबिक अवैध निर्माण पर हुई कार्रवाई में आए खर्च की वसूली उस इमारत से संबंधित या मालिक से की जाएगी। ऐसे में ध्वस्तीकरण में हुए खर्च की गणना जारी है और संबंधितों को नोटिस जारी किया जाएगा। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई में लाखों रुपये का खर्च आया है।

कार्रवाई में कर्मचारियों की संख्या और प्रयुक्त संसाधनों की संख्या अलग-अलग है। जिनका सही आंकड़ा गणना के बाद ही मिल सकता है। लेकिन बताया जा रहा है कि औसतन दो लाख रुपये का अनुमान है, 50 से ज्यादा कार्रवाई में एक करोड़ रुपये केआसपास का खर्च आता है। ऐसे में माफिया को फिर करोड़ों रुपये चुकाना पड़ सकता है।