पटना

राजगीर: आयुध निर्माणी का 220वां स्थापना दिवस मनाया गया


दो शताब्दियों से आधुनिकतम रक्षा सामग्री उपलब्ध कराकर राष्ट्र की अभेद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा आयुध निर्माणी: महाप्रबंधक

राजगीर (नालंदा) (आससे)। आयुध निर्माणी नालंदा में गोला, बारूद एवं विस्फोटक उत्पादन करने वाली आयुध निर्माणीयों में एक नवीनतम इकाई बन गई है, जहां पहली बार स्वदेशी प्रणाली के तहत बाई मॉड्यूलर चार्ज सिस्टम (बीएमसीएस) का उत्पादन तो किया ही जा रहा है, हमारी निर्माणी रक्षा के क्षेत्र मे सबसे महत्वपूर्ण मॉड्यूल के उत्पादन में संलग्न है। यह मॉड्यूल सामरिक दृष्टि से इतना महत्वपूर्ण है कि इसके निर्यात की संभावनाएं काफी प्रबल हो गई है।

आज इसकी उत्पादों की मांग विदेशों में भी बढ़ गई है। निर्माणी दिवस के अवसर पर देश इस बात पर गर्व करता है कि हमारी प्रतिरक्षा के निमित्त हमारे आयुध निर्माणी संगठन ने दो शताब्दियों से अधिक समय से अपने आधुनिकतम रक्षा सामग्री उपलब्ध कराकर राष्ट्र की अभेध सुरक्षा का सुनिश्चित किया है।

यह बातें आयुध निर्माणी के महाप्रबंधक मनोज श्रीधर बाघ ने आयुध निर्माणी संगठन के 220वें स्थापना दिवस पर निर्माणी के विशेषताओं के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए संवाददाताओं के बीच कहीं। श्री बाघ ने कहा कि आज आयुध निर्माणी नालंदा अपने रक्षा उत्पादन में कीर्तिमान स्थापित तो कर ही रहा है साथ ही साथ अपने आसपास के पर्यावरण, स्वच्छता ,संरक्षा, सामाजिक एवं आर्थिक विकास जैसे गंभीर मामलों में भी बढ़-चढ़कर अहम भूमिका निभा रही है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में आर्मी को पहला खेप दिया गया था। अब तक 6 लाख से ऊपर विस्फोटक सामग्री दिया जा चुका है, 10 लाख और विस्फोटक सामग्री आर्मी को देने का आर्डर दिया गया है। महाप्रबंधक ने कहा कि निर्माणी द्वारा प्रमुखतः तीन प्रकार की प्रतिरक्षा सामग्रियों का उत्पादन किया जा रहा है। जिसमें पहला बाई मॉड्यूलर चार्ज सिस्टम (बीएमसीएस) एम-91 जिसकी मारक क्षमता 6 से 12 किलोमीटर की दूरी तक किसी भी चीज को धाराशाही आसानी से कर सकता है, दूसरा बाई मॉड्यूलर चार्ज सिस्टम (बीएमसीएस) एम-92 जिसकी मारक क्षमता लगभग 40 किलोमीटर की रेंज तक किसी भी बंकर को नष्ट करने में महारत हासिल है।

इसके अलावे सभी प्रकार के विस्फोटको के मूल रसायन नाइट्रोसेलूलोज (एनसी) का उत्पादन भी किया जा रहा है। इन मॉड्यूलर को 155 एमएम के आर्टलरी तोप से दागकर निर्धारित लक्ष्य तक गोले को पहुंचाया जाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारतीय सेना को इसकी प्रबल आवश्यकता को देखते हुए आयुध निर्माणी नालंदा ने इसकी उत्पादन क्षमता को और बढ़ाने के लिए कार्य योजना तैयार कर रखी है। जिसमें सिंगल बेस प्रोपेलेंट, ट्रिपल बेस प्रोपलेट के उत्पादन हेतु एनसी-एनजी संयंत्र के निर्माण की दिशा में तेजी से कार्य हो रहा है।

उन्होंने कहा कि आयुध निर्माणी ने वर्ष 2020-21 के लिए एम 91 के 25 हजार मॉड्यूल के लक्ष्य से 26 हजार मॉड्यूल तैयार किए गए जबकि एम-92 के 2 लाख मॉड्यूल का लक्ष्य 2 दिन के अंदर ही 20 मार्च को ही पूर्ण होने जा रहा है। बताया जाता है कि 14 अप्रैल 1999 में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के द्वारा इस आयुध फैक्ट्री का शिलान्यास के पश्चात इस निर्माणी का निर्माण डीआरडीओ के द्वारा किया गया।

यह निर्माणी 155 एमएम के आर्टलरी तोपों के लिए आधुनिकतम प्रोपेलेंट (बीएमसीएस) बनाने के लिए स्थापित की गई थी और आज निर्माणी का उत्पादन वर्ष 2016 से विधिवत प्रारंभ हुआ और तब से निर्माणी आधुनिक तकनीक पर आधारित सामरिक महत्व के इस मॉडल का उत्पादन कर प्रति वर्ष निर्धारित उत्पादन लक्ष्य को पूर्ण करने में महारत हासिल कर रही है।

निर्माणी के द्वारा आसपास के गांवों को कौशल विकास योजना के तहत लाभ दिया जा रहा है। इस अवसर पर अपर महाप्रबंधक एके सिंह, अपर महाप्रबंधक सुनील स्प्रे, संयुक्त महाप्रबंधक सुधांशु प्रसाद, सहायक कार्य प्रबंधक ऋषि कपूर, उप महाप्रबंधक बीएस भंडारी, सहायक निदेशक राभा लुईस एम खाखा, वरिष्ठ अनुवादक अधिकारी ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान, अनुभाग प्रमुख गौरी शंकर एवं बीएमसीएस के कार्य प्रबंधक चंदन अग्रवाल उपस्थित रहे।