पटना

पटना: शिक्षामित्र से शिक्षक बने स्नातक योग्यताधारियों को झटका


      • स्नातक ग्रेड-वन के पद पर समायोजन का दावा खारिज
      • प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने जारी किया आदेश

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। पंचायत शिक्षामित्र से शिक्षक बने शिक्षकों का यह दावा खारिज हो गया है कि स्नातक योग्यता को आधार मान कर उन्हें स्नातक ग्रेड-वन यानी मध्य विद्यालय के स्नातक शिक्षक के पद पर समायोजित किया जाय।

दरअसल, पंचायत शिक्षामित्र से शिक्षक बने स्नातक योग्यताधारी हाई कोर्ट गये थे। उनका तर्क था कि पंचायत शिक्षामित्र के पद वर्ष 2005 में उनका नियोजन स्नातक योग्यता के अधिभार पर हुआ था, इसलिए वर्ष 2012 में अधिसूचित नियमावली के आलोक में स्नातक योग्यता को आधार मान कर उन्हें स्नातक ग्रेड-वन (मध्य विद्यालय  के स्नातक शिक्षक) के पद पर समायोजित किया जाय।

इस मामले में कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक को तीन माह के अंदर निर्णय लेने का आदेश दिया। उसके बाद इस मामले में प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि वादीगण मूलत: पंचायत शिक्षामित्र के पद पर अनुबंध के आधार पर वर्ष 2005 में 11 माह की अवधि के लिए नियोजित किये गये थे। पंचायत शिक्षामित्र के पद पर अनुबंध पर नियोजन से संबंधित संकल्प में अर्हता के संबंध में यह स्पष्टत: अंकित था कि उन्हें न्यूनतम इंटरमीडिएट अथवा उसके समकक्ष परीक्षा में उत्तीर्ण होना आवश्यक होगा।

पंचायत के अंतर्गत इंटरमीडिएट योग्यताधारी महिलाओं के उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में मैट्रिक अथवा समकक्ष योग्यताधारी महिलाओं का नियोजन जिला पदाधिकारी की अनुमति लेकर इस शत्र्त के साथ किया जा सकेगा कि अभ्यर्थी तीन वर्ष के अंदर इंटरमीडिएट अथवा समकक्ष योग्यता प्राप्त कर लेंगे। अभ्यर्थियों द्वारा समर्पित अभ्यावेदन के आधार पर मेधा सूची के निर्माण का प्रावधान था। मेधा सूची का निर्माण इंटर, स्नातक, स्नातकोत्तर एवं प्रशिक्षण में प्राप्तांक के प्रतिशत के आधार पर निर्धारित वेटेज को ध्यान में रख कर किया जाना था।

इससे स्पष्ट है कि पंचायत शिक्षामित्र में नियोजन के लिए इंटरमीडिएट आवश्यक शैक्षणिक अर्हता थी और स्नातक या अन्य शैक्षणिक योग्यता के आधार पर वेटेज दिया जा सकता था। आदेश के मुताबिक बिहार पंचायत प्रारंभिक शिक्षक (नियोजन एवं सेवाशर्त) नियमावली, 2006 के नियम 20 (द्बद्बद्ब) के तहत पंचायत शिक्षामित्र को पंचायत शिक्षक के रूप में समायोजित किया गया। उसमें यह प्रावधान था कि प्रशिक्षित अभ्यर्थियों की अनुपलब्धता में अप्रशिक्षित अभ्यर्थियों का नियोजन किया जायेगा और उन्हें दो वर्षीय प्रशिक्षण की व्यवस्था की जायेगी। इसके तहत वादीगण को सेवाकालीन प्रशिक्षण दिया गया।

अधिसूचित बिहार पंचायत प्रारंभिक शिक्षक (नियोजन एवं  सेवाशर्त) नियमावली, 2012 के प्रस्तावना में यह अंकित है कि ‘बच्चों के मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009, जो एक अप्रैल-2010 से लागू है, के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित शैक्षिक प्राधिकार यथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के द्वारा प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु नयी योग्यता निर्धारित की गयी है, को ध्यान में रख कर नियमावली, 2012 में अधिसूचित किया गया। उसके नियम-4 में पंचायत प्रारंभिक शिक्षकों के लिए तीन ग्रेड का निर्धारण पहली बार किया गया, जिसमें बेसिक ग्रेड, स्नातक ग्रेड एवं प्रधानाध्यापक ग्रेड शामिल है।

नियमावली के नियम-7 में प्रावधानित है कि स्नातक शिक्षक के 50 प्रतिशत पद सीधे नियोजन एवं शेष 50 प्रतिशत पदों पर बेसिक ग्रेड के योग्यताधारी शिक्षकों से भरा जायेगा। इस नियम में पूर्व से कार्यरत योग्यताधारी बेसिक ग्रेड के शिक्षकों को स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक के पद पर समायोजन का प्रावधान नहीं है। वादीगण को नियमावली, 2012 के तहत निर्धारित अर्हता को पूर्ण करने की स्थिति में सीधी नियोजन की प्रक्रिया में सम्मिलित होकर उन्हें स्नातक प्रशिक्षित वेतनमान के पद पर नियोजन का अवसर था।

साथ ही, वर्ष 2006 के नियमावली के आलोक में नियोजित पंचायत शिक्षक-प्रखंड शिक्षक वस्तुत: बेसिक ग्रेड के शिक्षक हैं और उन्हें नियमावली, 2012 के तहत स्नातक ग्रेड में प्रोन्नति का अवसर उपलब्ध है। यह अवसर वादीगण को उपलब्ध है।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विशेष अनुमति याचिका में पारित न्यायादेश में प्राथमिक विद्यालय, मध्य विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय में नियोजन से संबंधित नियमावली में नियोजन की प्रक्रिया एवं सेवाशर्त के प्रावधान को यथावत रखा गया है। प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने अपने आदेश में कहा है कि वादीगण का दावा अनुमान्य योग्य नहीं होने के कारण उसे अस्वीकृत किया जाता है।