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राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर विपक्ष हुआ सहमत, अब नाम पर फैसला बाकी


नई दिल्ली। विपक्षी दलों के बीच राष्ट्रपति चुनाव में साझा उम्मीदवार मैदान में उतारने पर सहमति बन गई है। लेकिन उम्मीदवार अभी तय नहीं हुआ है क्योंकि सक्रिय राजनीति छोड़ने को तैयार नहीं एनसीपी नेता शरद पवार ने विपक्ष का सर्वसम्मत प्रत्याशी बनने से इनकार कर दिया है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने 17 विपक्षी दलों की बैठक में पवार के इनकार के बाद नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी को नाम उम्मीदवार के रूप में सुझाया है। हालांकि, विपक्ष की प्रमुख दल कांग्रेस के साथ अन्य दलों ने इन दोनों समेत किसी भी नाम का अभी अपनी तरफ से सुझाव नहीं दिया है।

पक्षी एकजुटता की जरूरत को देखते हुए दीदी की इस बुलाई बैठक में कांग्रेस समेत अधिकांश दलों ने शिरकत किया मगर आम आदमी पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति से लेकर एएमआइएम आदि ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। एनडीए और यूपीए दोनों खेमों से बाहर रहने वाले दलों बीजद, वाइएसआर कांग्रेस, अकाली दल बादल ने भी बैठक से दूरी बनाई। इन दलों की राष्ट्रपति चुनाव में अहम भूमिका होनी है और ऐसे में यह विपक्ष के लिए सकारात्मक संकेत तो नहीं ही है। ममता के अलावा विपक्षी खेमे का कोई मुख्यमंत्री बैठक में शामिल नहीं हुआ। वैसे इस बैठक में तय हो गया कि भले ही ममता ने पहल शुरू कर दी है मगर राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर विपक्षी राजनीति का संचालन अब कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शरद पवार करेंगे। विपक्षी दलों की राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार तय करने के लिए दूसरी निर्णायक बैठक अगले हफ्ते होगी और खुद ममता बनर्जी ने कहा कि शरद पवार इसमें सूत्रधार की भूमिका निभाएंगे।

दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की बुलाई इस बैठक में सभी दलों ने शरद पवार से विपक्ष का सर्वसम्मत उम्मीदवार बनने का आग्रह किया मगर पवार ने यह कहते हुए प्रस्ताव ठुकरा दिया कि वे अपनी जिंदगी के आखिरी तक सक्रिय राजनीति में ही रहना चाहते हैं। तब ममता बनर्जी ने गोपालकृष्ण गांधी और फारूख अब्दुल्ला का नाम सुझाया और बाकी दलों से भी अपनी पसंद बताने के लिए कहा। लेकिन तमाम दलों के नेताओं ने कहा कि वे अपने शीर्ष नेतृत्व से विचार-विमर्श के बाद ही इस बारे में कुछ कहेंगे।

 

विपक्ष एकजुट होकर राष्ट्रपति चुनाव के मैदान में उतरेगा: ममता

ममता ने बैठक के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए इसकी पुष्टि भी की और यह जरूर कहा कि चाहे जिस नाम पर भी सहमति बने मगर यह तय है कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार उतरेगा। टीआरएस और आम आदमी पार्टी जैसे टीएमसी के करीबी दलों के बैठक में नहीं आने के सवाल पर ममता ने कहा कि किसी विशेष वजह से कुछ पार्टियां नहीं आयी लेकिन इसमें संदेह नहीं कि विपक्ष एकजुट होकर राष्ट्रपति चुनाव के मैदान में उतरेगा। शरद पवार ने भी कहा कि विपक्षी खेमे के जो दल आज नहीं आए थे उनसे भी बातचीत कर उम्मीदवारी पर राय ली जाएगी और सर्वसम्मति से विपक्ष का उम्मीदवार तय होगा।

राष्ट्रपति चुनाव पर विपक्षी दलों की इस बैठक में कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश, रणदीप सुरजेवाला शामिल हुए। वहीं खास बात यह रही कि पूर्व पीएम जेडीएस नेता एचडी देवेगोडा, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, एनसी नेता उमर अब्दुल्ला भी बैठक में शरीक हुए। माकपा, भाकपा, आरएसीपी, राजद, झामुमो, रालोद, द्रमुक, शिवसेना आदि दलों के नेताओं ने भी दीदी की इस बैठक में हिस्सा लिया।

ममता ने बैठक के दौरान संघीय ढांचे पर किए प्रहार

देश में नफरत के बढते माहौल से लेकर किसानों की हालात को नाजुक बताते हुए कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में एकजुटता विपक्ष के लिए 2024 की तैयारी की शुरूआत होगी।

ममता ने कहा सरकार के दबाव में ईडी विपक्ष के नेता को बना रही निशाना

राष्ट्रपति चुनाव पर विपक्षी दलों की बैठक के दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ ईडी की पूछताछ की कार्रवाई का मुद्दा भी उठा और इससे ममता बनर्जी ने खुद उठाया। राहुल गांधी से तीन दिनों से ईडी की जा रही पूछताछ को गलत ठहराते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष समेत विपक्ष के तमाम नेताओं को मोदी सरकार निशाना बना रही है। इसके लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरूपयोग किया जा रहा है और सरकार के इशारे पर ईडी की यह कार्रवाई देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है।