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रूस-यूक्रेन युद्ध से खुली किसानों की किस्मत, 10 हजार बोरी गेहूं प्रतिदिन बंदरगाहों पर जा रहा


मंदसौर, । रूस और खासकर यूक्रेन पूरी दुनिया में होने वाले गेहूं का कुल 35 प्रतिशत तक उत्पादन अकेले करता था और अफ्रीकी देशों के प्रमुख निर्यातक भी था। अभी दोनों देश युद्ध में उलझे हैं। ऐसे में भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्र मालवा के किसानों की किस्मत खुल गई है। रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण हजारों छात्रों को पढ़ाई अधूरी छोड़कर भारत वापस आना पड़ा है, पर इसी युद्ध ने देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्र मालवा के किसानों की किस्मत खोल दी है। उन्हें गेहूं के अभी तक के सबसे ज्यादा 2400 रुपये क्विंटल तक के भाव मिल रहे हैं।

मालूम हो कि अफ्रीकी देशों में भारतीय गेहूं की बढ़ती मांग का ही असर है कि अभी तक अकेले मंदसौर से ही लगभग एक लाख क्विंटल गेहूं कांडला व मुंबई बंदरगाह भेजा जा चुका है और प्रतिदिन 15 हजार बोरी तक गेहूं जा रहा है। इससे किसानों को भी फायदा हो रहा हैं और व्यापारी भी मुनाफा कमा रहे हैं। मंडी को भी अच्छा राजस्व मिल रहा हैं।

जानकारी हो कि किसानों का मुनाफा भी पिछले साल की तुलना में डेढ़ गुना तक बढ़ गया है। गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 प्रति क्विंटल है, लेकिन इससे कहीं ज्यादा दाम खुले बाजार में किसानों को मिल रहा है। मिल क्वालिटी का गेहूं भी 2100 रुपये क्विंटल तक मिल रहा है। वहीं अच्छी क्वालिटी का गेहूं 2400 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। किसानों को पिछले साल लागत के आधार पर 400 से 500 रुपये प्रति क्विंटल लाभ मिल रहा था। अब 900 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है।