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रेमडेसिविर का प्रोडेक्शन दिसंबर से फरवरी के बीच में घटा,


नई दिल्लीः देश के कई राज्यों को कोविड-19 के इलाज में काम आने वाले दवा रेमडेसिविर की कमी का सामना करना पड़ रहा है. रेमडेसिविर के मैन्यूफैक्चरर्स का कहना है कि दिसंबर से फरवरी तक मांग में कमी के कारण तीन महीने के लिए इस एंटी-वायरल दवा का उत्पादन कम या लगभग जीरो हो गया था. इससे बाद में इसकी सप्लाई चेन प्रभावित हुई. मैन्यूफैक्चरर्स के मुताबिक उन्हें इस तरह के अचानक मांग बढ़ने का अनुमान नहीं था और कमी को दूर करने में कम से कम 10 दिन लगेंगे.

महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश ने कोविड -19 मामलों के बढने के बाद रेमडेसिविर की कमी बताई है. देश पिछले कुछ दिनों से एक लाख से ज्यादा नए मामलों सामने आ रहे और एक्टिव मामलों की संख्या 10 लाख के करीब पहुंच गई है. इनमें से आधे महाराष्ट्र में हैं, जहां रोजाना 40 -50 हजार रेमडेसिविर शीशियों की आवश्यकता है जबकि पिछले साल “पीक” के दौरान यहां 30 हजार शीशियों की जरूरत पड़ती थी.

केंद्र ने मैन्यूफैक्चरर्स से उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा
केंद्र सरकार ने सभी सात मैन्यूफैक्चरर्स माइलान, हेटेरो हेल्थकेयर, जुबिलेंट लाइफ साइंसेज, सिप्ला, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज, जायडस कैडिला और सन फार्मास्युटिकल्स को प्रति माह 31.6 लाख शीशियों की अधिकतम क्षमता से प्रोडक्शन करने के लिए कहा है.

प्रफुल्ल खसगीवाल, सीनियर वीपी, हेटेरो हेल्थकेयर ने कहा, “दिसंबर से फरवरी तक हम अपने उत्पादन में 5-10 प्रतिशत तक नीचे आ गए क्योंकि कोई मांग नहीं थी. हमने मार्च के मध्य से स्केलिंग शुरू की, लेकिन इसमें समय लगता है. खसगीवाल ने कहा कि रेमडिसिविर का उत्पादन करने के लिए 25 रॉ मैटिरियल की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि “हमारे पास कोई इंवेंटरी नहीं थी. हमें खरीद करनी पड़ती है और हमारे आपूर्तिकर्ता जल्दी नहीं दे सके. वर्तमान में हम एक या दो दिन में 35,000 शीशियों का निर्माण कर सकते हैं. ”
निर्माण से परिवहन तक में लग जाते हैं 20-25 दिन
रेमडिसिविर के निर्माण में लगभग पांच दिन लगते हैं. फिर दवा 14 दिन के टेस्ट से गुजरती है और 2-8 डिग्री सेल्सियस में परिवहन के लिए लगभग तीन दिनों की आवश्यकता होती है. इस पूरे साइकल में 20-25 दिन लगते हैं. अधिकांश मैन्यूफैक्चरर्स ने मार्च में अपना उत्पादन बढ़ाया, लेकिन बढ़ते कोविड -19 मामलों के मद्देनजर राज्यों में लग रहे प्रतिबंधों से कच्चे माल की आपूर्ति और परिवहन एक इश्यू बना हुआ है.

बढ़ रही है जमाखोरी और कीमत
इस दवा की ज्यादा डिमांड के कारण जमाखोरी और कीमत बढ़ने की घटनाएं भी सामने आई हैं. महाराष्ट्र में अधिकतम रिटेल प्राइस 2,800 से 5,400 रुपये तय है लेकिन मरीजों को 7,000 से 10,000 रुपये में रेमडेसिविर बेचने शिकायत की है. मुंबई पुलिस ने इस सप्ताह दो स्थानों पर छापा मारा और दवा की 297 शीशी जब्त की हैं.